पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जिससे आज भी कई देश पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 99 प्रतिशत पोलियो को कम किया जा चुका है, लेकिन इससे अभी भी कई गरीब देश प्रभावित हैं (1)। भारत की बात करें तो यूनीसेफ (UNICEF) ने भारत को 2011 में ही पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था (2)। फिर भी देश को पोलियो मुक्त बनाए रखने के लिए हर वर्ष एक निर्धारित समय पर पोलियो वैक्सीन लगाए जाते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इस बारे में पूर्ण रूप से जानकारी रखना जरूरी है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम पोलियो से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। यहां आपको पोलियो, पोलियों के प्रकार और पोलियो से बचने के उपाय संबंधित जानकारी मिलेगी। साथ ही पोलियो का टीका और पोलियो का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
यह सभी जानकारी जानने से पहले, विस्तार से जानिए कि पोलियो क्या होता है।
पोलियो क्या है – What is Polio (Poliomyelitis) in Hindi
पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस एक ऐसा रोग है, जो तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचाकर लकवा (पैरालिसिस) का कारण बन सकता है (3)। पोलियो वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के शरीर से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर सकता है, जिससे पैरालिसिस (पूरा शरीर या शरीर के कुछ अंगों से जुड़ी गतिहीनता) हो सकता है (4)। पोलियो वैक्सीन पूरी दुनिया में अच्छी तरह लागू होने के बाद इसका खतरा कम हो गया है, लेकिन यह अब भी एक घातक बीमारी है। इस वजह से पोलियो का इलाज और उससे बचने के उपाय के बारे में ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
पोलियो क्या है जानने के बाद, आगे जानिए पोलियो के प्रकार।
पोलियो के प्रकार – Types of Polio in Hindi
पोलियो के प्रकार की बात करें तो यह दो प्रकार का हो सकता है (5):
- पैरालिटिक पोलियो : इसमें पोलियो वायरस कुछ नर्व फाइबर (Nerve Fiber) के जरिए फैलता है और रीढ़ की हड्डी के साथ मस्तिष्क के भाग (ब्रेन स्टेम और मोटर कॉर्टेक्स) में मौजूद मोटर न्यूरॉन्स (कोशिकाएं, जो जरूरी मांसपेशियों की गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं, जैसे बोलना, चलना, सांस लेना और निगलना (6)) को नुकसान पहुंचाता है। यह क्षति पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस का निर्माण करती है। न्यूरोंस को पहुंची क्षति के आधार पर पैरालिटिक पोलियो के प्रकार को तीन भागों में बांटा जा सकता है:
- स्पाइनल पोलियो : इस प्रकार में पोलियो वायरस रीढ़ की हड्डी में मौजूद मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है। यह वायरस प्रभावित क्षेत्र की मासपेशियों को कमजोर बना सकता है और उन्हें लकवाग्रस्त कर सकता है।
- बल्बर पोलियो : इस प्रकार में पोलियो वायरस मस्तिष्क के बल्बर भाग (ब्रेनस्टेम और सेरिबैलम को जोड़ने वाला) को प्रभावित करता है। वायरस बल्बर भाग की नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण सांस लेने, बोलने और निगलने में मुश्किल हो सकती है।
- बल्बोस्पाइनल पोलियो : पैरालिटिक पोलियो के लगभग 19 प्रतिशत मामलों में मरीज बल्बोस्पाइनल पोलियो से पीड़ित होता है। इस प्रकार में रीढ़ की हड्डी और बल्बर, दोनों पोलियो वायरस से प्रभावित होते हैं। इस दौरान व्यक्ति को वेंटीलेटर के बिना सांस लेने में समस्या होती है। इसके साथ, उसके हाथ और पैरों पर लकवा मार सकता है और हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है।
- पाथोफिजियोलोजी (Pathophysiology) : पोलियो के इस प्रकार में पोलियो वायरस मुंह के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है। शरीर में प्रवेश करते ही सबसे पहले यह ग्रसनी (Pharynx – गले का एक भाग) और आंतों का म्यूकोसा (Intestinal Mucosa) की कोशिकाओं को संक्रमित करता है। यह वायरस आगे बढ़कर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है और शरीर में इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है।
पोलियो के प्रकार बताने के बाद, आइए आपको बता दें कि पोलियो के कारण क्या हो सकते हैं।
पोलियो के कारण – Causes of Polio (Poliomyelitis) in Hindi
पोलियो वायरस, पोलियो की मुख्य वजह है। इसके फैलने की कई वजह हो सकती हैं, जिन्हें पोलियो के कारण में शामिल किया जा सकता है, जैसे (7) :
- संक्रमित व्यक्ति से सीधा संपर्क
- नाक और मुंह से निकले संक्रमित बलगम से संपर्क
- संक्रमित मल से संपर्क
लेख के अगले भाग में हम आपको बताएंगे कि पोलियो के लक्षण क्या-क्या होते हैं।
पोलियो के लक्षण – Symptoms of Polio (Poliomyelitis) in Hindi
आमतौर पर पोलियो से संक्रमित लोगों में किसी प्रकार के लक्षण नही दिखाई देते, लेकिन कुछ मामलों में पोलियो के लक्षण फ्लू की तरह दिखते हैं। ये लक्षण कुछ दो से पांच दिन के लिए रहते हैं और फिर गायब हो जाते हैं, जैसे (4) :
- गले में खराश
- बुखार
- थकान
- जी मिचलाना
- सिरदर्द
- पेट दर्द
इनके अलावा, कुछ मामलों में पोलियो के लक्षण गंभीर हो जाते हैं और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) को प्रभावित करने लगते हैं। इन मामलों में व्यक्ति कुछ गंभीर लक्षणों से गुजरता है, जैसे :
- पैरेस्थीसिया – पैरों में सुई चुभने जैसा एहसास होना
- मैनिंजाइटिस के लक्षण – मस्तिष्क और रीढ़ से जुड़ा संक्रमण
- पैरालिसिस (लकवा)
हर शारीरिक समस्या की तरह पोलियो के भी कुछ जोखिम कारक हैं, जो इसके होने का खतरा बढ़ा सकते हैं। उनके बारे में लेख के अगले भाग में बताया गया है।
पोलियो के जोखिम कारक – Risk Factors of Polio in Hindi
पोलियो के कारण के अलावा कुछ जोखिम कारक भी हैं, जो इस रोग के होने की वजह बन सकते हैं, जैसे (7) (3):
- पोलियो का टीका न लगवाना
- पोलियो से संक्रमित जगह पर जाना
- अस्वच्छ वातावरण में रहने वाले बच्चे और शिशु
पोलियो के उपचार से जुड़ी जानकारी के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहिए यह लेख।
पोलियो का इलाज – Treatment of Polio (Poliomyelitis) in Hindi
इस भाग के शुरुआत में हम आपको बता दें कि कोई भी मेडिकल ट्रीटमेंट पोलियो का इलाज नहीं कर सकता है। नीचे बताए गए उपचार सिर्फ पोलियो के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं (7) :
- एंटीबायोटिक्स : यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लक्षण (मूत्र मार्ग का संक्रमण) को कम करने के लिए।
- हीटिंग पैड : मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए।
- दर्द निवारक दवाएं : सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए।
- फिजिकल थेरेपी : मांसपेशियों की ताकत और कार्यप्रणाली को बेहतर करने के लिए। इस दौरान, कुछ गंभीर मामलों में आर्थोपेडिक सर्जरी भी की जा सकती है।
पोलियो का उपचार बताने के बाद, लेख के अगले भाग में हम आपको पोलियो से बचने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं।
पोलियो से बचने के उपाय – Prevention Tips for Polio in Hindi
किसी भी अन्य बीमारी की तरह ही पोलियो से बचने में उपाय अपनाना पोलियो का इलाज करवाने से बेहतर हैं।
ये बचाव उपाय पोलियो का टीका होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है (8) (9) :
- ओरल पोलियो वैक्सीन : पोलियों से बचाव के लिए इस वैक्सीन को मुंह के जरिए दिया जाता है। इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी है। दरअसल, वैक्सीन में लाइव वायरस की मौजूदगी के कारण इसे लेने वाला व्यक्ति दूसरे को संक्रमित कर सकता है। दुर्लभ मामलों में यह ओरल वैक्सीन, ‘वैक्सीन डराइव्ड पोलियो वायरस’ बनकर पोलियो का कारण भी बन सकती है। यही वजह है कि अमेरिका ने इस वैक्सीन को बैन कर दिया है, फिर भी कई कई देशों में इसे अपनाया जा रहा है।
- इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन : इस वैक्सीन को व्यक्ति के बांह या पैर में इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। यह पोलियो का टीका व्यक्ति को पोलियो के तीनों प्रकार से बचाता है। इसमें लाइव वायरस नहीं होते, इसलिए यह पोलियो वैक्सीन अन्य लोगों में संक्रमण का कारण नहीं बनती।
पोलियो के मामले में यह बात बिलकुल सटीक बैठती है कि इलाज से बेहतर बचाव है। पोलियो का उपचार उपलब्ध न होने के कारण इससे बचाव करने के लिए सही समय पर पोलियो वैक्सीन लगवाना जरूरी है। भारत में भले ही पोलियो पूरी तरह खत्म हो गया हो, लेकिन इसे पोलियो मुक्त बनाए रखने के लिए पोलियो का टीका अवश्य लगवाएं। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। अगर पोलियो के कारण, लक्षण या उससे जुड़ा कोई भी सवाल अब भी आपके मन में हो, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हम तक जरूर पहुंचाएं।
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