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Thursday, November 21, 2019

पेट में अल्सर के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Home Remedies for Stomach Ulcer in Hindi

हल्का पेट दर्द या पेट में जलन जैसी समस्याएं अक्सर लोगों को परेशान करती हैं। वैसे तो ये मामूली परेशानी होती है, लेकिन कई बार इनके पीछे का कारण कोई बीमारी भी हो सकती है, जैसे कि पेट में अल्सर। आप थोड़ी सावधानियां और घरेलू उपाय की मदद से अल्सर की रोकथाम कर सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम पेट में होने वाले अल्सर से संबंधित जरूरी जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं। आर्टिकल में पेट में अल्सर के कारण के साथ-साथ पेप्टिक अल्सर के लक्षण, इसका इलाज व बचाव के कुछ टिप्स जैसी जरूरी बातें जानने को मिलेंगी। पेट के अल्सर का घरेलू उपचार इसके लक्षणों को ठीक करने में मदद जरूर कर सकता है, लेकिन इसे पर्याप्त इलाज नहीं माना जा सकता है।

सबसे पहले आपको बताते हैं कि पेट में अल्सर होना आखिर क्या होता है। आगे पेट में अल्सर के लक्षण के बारे में बताएंगे।

पेट में अल्सर क्या है? – What is Stomach Ulcer in Hindi

पेट का अल्सर, एक तरह का घाव है, जो पेट की सतह या छोटी आंत के पहले हिस्से (डिओडेनम – Duodenum) में होता है। अल्सर तब बनता है, जब भोजन को पचाने में मदद करने वाला एसिड पेट की दीवारों और छोटी आंत को नुकसान पहुंचाने लगता है। पेट में जलन होना इसका सबसे आम लक्षण है। पेट के अल्सर को पेप्टिक अल्सर, डुओडेनल अल्सर, गैस्ट्रिक अल्सर या अल्सर भी कहा जाता है (1)

हम अब पेट में अल्सर के कारण बता रहे हैं।

पेट में अल्सर के कारण – Causes of Stomach Ulcer (Peptic Ulcer) in Hindi

पेट में अल्सर का इलाज तभी संभव है, जब इसके कारण के बारे में पता हो। नीचे पेट में अल्सर के कारण जानिए (1) (2)  (3) 

  • पेट में एसिड (अम्ल) का बढ़ना।
  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया की वजह से होने वाला इंफेक्शन।
  • नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे एस्प्रिन और आइबूप्रोफेन।
  • पेट में कैंसर और गैर-कैंसर वाले ट्यूमर का बनना, जिसे जोलिंगर-एलिस (Zollinger-Ellis) सिंड्रोम कहा जाता है।
  • टिश्यू में सूजन।
  • तनाव और मसालेदार खाद्य पदार्थ अल्सर का कारण तो नहीं बनते हैं, लेकिन समस्या को बढ़ा जरूर सकते हैं। 

पेट के अल्सर का कारण जानने के बाद पेप्टिक अल्सर के लक्षण पर एक नजर डाल लेते हैं।

पेट में अल्सर के लक्षण – Symptoms of Stomach Ulcer in Hindi

पेट में जलन के साथ होने वाला दर्द पेट के अल्सर व पेप्टिक अल्सर के सबसे आम लक्षणों में से एक है। इसके अलावा, अल्सर के दौरान नाभि और ब्रेस्टबोन के बीच कहीं भी दर्द महसूस हो सकता है (2)। ये दर्द तब होता है, जब –

  • खाना खाने के कुछ समय बाद पेट खाली होने पर और रात के समय दर्द महसूस होना।
  • खाना खाने के बाद और एंटासिड लेने के बाद दर्द का कुछ देर के लिए रुक जाना।
  • पेट में दर्द या जलन का एक घंटे या कुछ मिनट के लिए होना।
  • दर्द का कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों में होना।

पेप्टिक अल्सर के अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:

  • पेट में गैस भरने की वजह से बार-बार डकार का आना।
  • भूख कम लगना।
  • उल्टी आना।
  • वजन घटना।
  • पेट फूलना।

अब हम पेट में अल्सर के घरेलू उपचार बता रहे हैं। ध्यान रखें कि पेट में अल्सर का घरेलू उपचार ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं हो सकता है। आप घरेलू उपचार को अल्सर के रोकथाम के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।

पेट में अल्सर के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Stomach Ulcer in Hindi 

1. शहद 

सामग्री:
  • एक बड़ा चम्मच शहद
  • एक गिलास पानी
  • एक चुटकी दालचीनी पाउडर 
उपयोग का तरीका:
  • एक गिलास गर्म पानी में शहद और दालचीनी डालें।
  • सभी सामग्रियों को अच्छे से मिलाने के बाद तैयार मिश्रण को पिएं।
  • इसका सेवन रोजाना दो बार किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:

शहद में ग्लूकोज ऑक्सीडेस नामक एंजाइम होता है। यह एंजाइम हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है, जो पेप्टिक अल्सर पैदा करने वाले बैक्टीरिया हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter Pylori) से लड़ने में मदद कर सकता है (4)

2. लहसुन 

सामग्री:
  • लहसुन की 2-3 कलियां 
उपयोग का तरीका:
  • सलाद और व्यंजनों में लहसुन का पेस्ट बनाकर डालें।
  • प्रतिदिन लहसुन की एक कली को चबा भी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:

लहसुन को मसलने पर एलिसिन (Allicin) नामक यौगिक निकलता है (5)। इस यौगिक में शक्तिशाली रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter Pylori) से लड़ने में मदद कर सकते हैं। यह बैक्टीरिया पेप्टिक अल्सर का कारण माना जाता है (6)

3. अदरक 

सामग्री:
  • कसा हुआ अदरक का 1 चम्मच
  • 1 कप पानी
  • शहद
उपयोग का तरीका:
  • सॉस पैन में एक कप पानी और एक चम्मच पिसा हुआ अदरक डालकर उबालें।
  • करीब 5 मिनट तक उबालने के बाद इसे ठंडा होने दें।
  • अब इसमें शहद मिलाकर तुरंत पी लें।
  • रोजाना तीन बार अदरक की चाय पी सकते हैं। 
कैसे लाभदायक है:

अदरक एस्पिरिन दवा की वजह से विकसित होने वाले पेट के अल्सर के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह अल्सर पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है, जिससे अल्सर की गंभीरता कम हो सकती है (7) (8)

4. हल्दी 

सामग्री:
  • 1 चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1 गिलास गर्म पानी
  • शहद (वैकल्पिक) 
उपयोग का तरीका:
  • एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं।
  • अच्छी तरह से मिलाएं और इसमें कुछ शहद डालें।
  • अब मिश्रण का सेवन करें।
  • इसे 2 से 3 बार पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:

हल्दी में कर्क्यूमिन (Curcumin) नामक एक यौगिक होता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों को प्रदर्शित करता है। इस गुण की वजह से हल्दी पेट के अल्सर का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद कर सकती है (9)

5. केला 

सामग्री:
  • एक पका या कच्चा केला 
उपयोग का तरीका:
  • पके केले का सीधे सेवन करें।
  • कच्चे केले को पकाकर सब्जी के रूप में खाएं।
  • रोजाना एक से दो बार केले का सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:

केला चाहे पका हुआ हो या कच्चा, आपके पेट पर सुरक्षात्मक प्रभाव दे सकता है। कच्चे केले में फॉस्फेटिडिलकोलाइन (Phosphatidylcholine) और पेक्टिन (Pectin) जैसे यौगिक होते हैं, जो आपके पेट में अल्सर प्रतिरोधी क्षमता को अस्थायी रूप से बढ़ा सकते हैं। इसलिए, माना जा सकता है कि कच्चे केले का सेवन करने से पेप्टिक अल्सर के रोकथाम और बचाव में मदद मिल सकती है (10)

6. ग्रीन टी 

सामग्री:
  • 1 चम्मच ग्रीन टी
  • 1 कप पानी
  • शहद 
उपयोग का तरीका:
  • एक कप गर्म पानी में एक चम्मच ग्रीन टी डालें।
  • 5 मिनट के लिए उबालकर इसे गुनगुना होने दें।
  • गुनगुना होने पर इसमें शहद मिलाकर पी लें।
  • प्रभावी परिणाम के लिए रोजाना दो बार पिया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:

एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक ग्रीन टी में एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (ईजीसीजी) नामक एक पॉलीफेनोल होता है। यह यौगिक एंटी-अल्सर गतिविधियों को प्रदर्शित करता है। ऐसे में माना जाता है कि यह पेट के अल्सर को ठीक करने में मदद करता है। फिलहाल, यह शोध चूहों पर किया गया था और मनुष्यों पर किया जाना बाकी है (11)। इस आधार पर यह घरेलू नुस्खा प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

7. एलोवेरा जूस 

सामग्री:
  • एक कप ताजा एलोवेरा रस 
उपयोग का तरीका:
  • एक कप ताजा एलोवेरा जूस का सेवन करें।
  • इस जूस का रोजाना 1 से 2 बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:

एलोवेरा अपने हिलिंग गुणों के लिए जाना जाता है। साथ ही इसमें भरपूर एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसलिए, माना जाता है कि एलोवेरा अल्सर के लक्षण जैसे टिश्यू में सूजन और दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (12)। साथ ही इसमें गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधि भी पाई जाती है, जो पेट में गैस्ट्रिक एसिड के स्राव को रोक सकती है (13)

8. पत्ता गोभी 

सामग्री:
  • आधी पत्ता गोभी 
उपयोग का तरीका:
  • पत्ता गोभी को काट लें।
  • अब इसे जूसर में डालकर जूस तैयार करें।
  • करीब एक कप जूस का सेवन करें। 
कैसे लाभदायक है:

गोभी ग्लूटामाइन नामक अमीनो एसिड का एक समृद्ध स्रोत है। इस यौगिक की वजह से क्षतिग्रस्त गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्रिय) की सतह (lining) को पोषित और रिपेयर करने में मदद मिल सकती है। साथ ही इसमें एंटी-पेप्टिक अल्सर (विटामिन-यू) भी पाया जाता है, जो पेट के अल्सर के उपचार को गति दे सकता है (14)

9. लाल मिर्च (Cayenne Pepper)

सामग्री:
  • एक चम्मच पिसी हुई लाल मिर्च या कैयेन पेपर
  • 1 गिलास गर्म पानी
  • शहद 
उपयोग का तरीका:
  • एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच पिसी हुई मिर्च डालें।
  • अब इसमें शहद डालकर अच्छी तरह से मिलाकर पी लें।
कैसे लाभदायक है:

लाल मिर्च में मौजूद कैपसाइसिन (Capsaicin) अल्सर को ठीक करने में मदद कर सकता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कैपसाइसिन यौगिक पेट के एसिड को बेअसर करने के साथ ही पेट के बलगम को रिलीज कर सकता है। इन दोनों की वजह से पेट के अल्सर से उबरने में मदद मिल सकती है (15)

10. मुलेठी (Licorice) 

सामग्री:
  • एक से दो चम्मच मुलेठी या मुलेठी की चाय
  • एक कप पानी
  • शहद (वैकल्पिक) 
उपयोग का तरीका:
  • एक बर्तन में एक कप पानी और एक से दो चम्मच मुलेठी या इसकी चाय डालें।
  • पानी को 5 मिनट के लिए उबाल लें।
  • अब कुछ देर चाय को ठंडा होने दें।
  • थोड़ी देर बाद आवश्यकतानुसार शहद डालकर चाय पी लें।
कैसे लाभदायक है:

माना जाता है कि मुलेठी आंत पर सुरक्षात्मक प्रभाव छोड़ती है, क्योंकि यह पेट के बलगम के स्राव (Secretion) को बढ़ाकर अल्सर को बनने से रोक सकती है। इसमें एंटी-एच (हेलीकोबैक्टर) पाइलोरी प्रभाव भी पाया जाता है, जो अल्सर के बैक्टीरिया को खत्म करके इसके इलाज में भी मदद कर सकता है (16)

11. विटामिन-ई 

सामग्री:
  • 11-15 मिलीग्राम विटामिन ई 
उपयोग का तरीका:
  • रोजाना 11 से 15 मिलीग्राम विटामिन-ई का सेवन किया जा सकता है।
  • आप अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद विटामिन-ई का सप्लीमेंट ले सकते हैं।
  • रोजाना इसका सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:

एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, पेप्टिक अल्सर में विटामिन-ई साइटोप्रोटेक्टिव (हानिकारक एजेंट से कोशिकाओं को सुरक्षित रखना) और एंटी-अल्सर प्रभाव प्रदर्शित करता है। इसी वजह से माना जाता है कि इसका सेवन करने से पेट का अल्सर ठीक हो सकता है। हालांकि, चूहों पर किए गए इस शोध में यह भी कहा गया है कि पेट के अल्सर को लेकर विटामिन-ई की भूमिका पर अधिक अध्ययन किये जाने की जरूरत है (17)। विटामिन-ई के सेवन की सुरक्षित मात्रा हम ऊपर उपयोग के तरीके में बता ही चुके हैं (18)

12. क्रैनबेरी जूस 

सामग्री:
  • क्रैनबेरी रस का 1 कप (250 एमएल) 
उपयोग का तरीका:
  • एक कप क्रैनबेरी जूस का सेवन करें।
  • इसे रोजाना दो बार पिया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:

क्रैनबेरी जूस हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter Pylori) के हानिकारक प्रभाव से बचाने का काम कर सकता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि यह पेट के अल्सर के बचाव में भी सहायक हो सकता है (19)। माना जाता है कि इसमें मौजूद प्रोएन्थोसाइनिडिन (Proanthocyanidins) और कई अन्य फाइटोकेमिकल यौगिक की वजह से यह अल्सर से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (20)

13. नारियल 

सामग्री:
  • एक कप नारियल पानी 
उपयोग का तरीका:
  • एक कप ताजा नारियल पानी पी लें।
  • वैकल्पिक रूप से आप अपने व्यंजनों में नारियल का दूध मिला सकते हैं।
  • सलाद में कसा हुआ नारियल भी मिक्स कर सकते हैं।
  • इसे रोजाना अपने आहार में शामिल किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:

नारियल पानी और नारियल का दूध दोनों ही एंटीअल्सरोजेनिक और साइटोप्रोटेक्टिव प्रभाव (हानिकारक  एजेंट से कोशिकाओं को सुरक्षित रखने वाला गुण) प्रदर्शित करते हैं। यह दोनों गुण पेट के अल्सर से बचाव करने और इसे कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं। नारियल पानी की तुलना में नारियल का दूध अधिक प्रभावी हो सकता है (21) 

14. मेथी 

सामग्री:
  • मेथी के बीज के 1-2 बड़े चम्मच
  • आवश्यकतानुसार पानी
उपयोग का तरीका:
  • एक कप पानी में एक से दो बड़े चम्मच मेथी के बीज डालकर उबाल लें।
  • जब पानी आधा हो जाए, तो गैस बंद कर दें।
  • अब इसे छानकर पी लें।
  • इसे रोजाना एक बार पिया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:

मेथी के बीज में साइटोप्रोटेक्टिव (हानिकारक एजेंट से कोशिकाओं को सुरक्षित रखना) गुण पाया गया है। साथ ही मेथी के बीज गैस्ट्रिक म्यूकोसा (पेट की झिल्ली) की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ाकर एंटी-अल्सर क्षमता प्रदर्शित करते हैं। इसलिए, माना जाता है कि मेथी के बीज अल्सर के रोकथाम और बचाव में मदद कर सकते हैं (22)

15. सहजन (Drumstick) 

सामग्री:
  • 10 ग्राम ड्रमस्टिक (सहजन) की पत्तियां
  • पानी (आवश्यकतानुसार)
  • दही (आवश्यकतानुसार)
उपयोग का तरीका:
  • 10 ग्राम ड्रमस्टिक के पत्तों में जरूरत के हिसाब से पानी डालकर महीन पीस लें।
  • गाढ़ा पेस्ट बनने के बाद इसमें दही डालकर अच्छे से मिला लें।
  • अब इसका सेवन करें। 
कैसे लाभदायक है:

सहजन में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव और पेट का बलगम बढ़ाने वाली गतिविधियां के साथ कई सक्रिय एजेंट पाए जाते हैं, जिनका अल्सर के बचाव में उपयोग किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार, सहजन के पत्तों के एल्कोहोलिक अर्क में एस्पिरिन गुण होने की वजह से अल्सर से कुछ राहत मिल सकती है। रिसर्च के अनुसार, इसका सेवन करने से अल्सर में और पेट में बनने वाले एसिड के स्त्राव (Secretion) में कमी आ सकती है (23) (24)

16. डेंडेलियन टी 

सामग्री: 
  • सिंहपर्णी (डेंडेलियन) चाय के एक से दो चम्मच
  • एक कप गर्म पानी
  • शहद 
उपयोग का तरीका:
  • एक कप गर्म पानी में एक से दो चम्मच डंडेलियन चाय मिलाएं।
  • 5 मिनट बाद चाय को छानकर ठंडा होने के लिए रख दें।
  • अब इसमें शहद मिलाकर तुरंत पी लें।
  • इस चाय का रोजाना दो बार सेवन किया जा सकता है। 
कैसे लाभदायक है:

ऊपर लेख में हम आपको बता ही चुके हैं कि पेट के अल्सर का एक कारण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter Pylori) बैक्टीरिया भी है। माना जाता है कि डेंडेलिन में मौजूद एंटी-हेलिकोबैक्टर पाइलोरी गुण इस बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकता है (25)। साथ ही डेंडेलियन एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि यह गुण पेट के अल्सर की गंभीरता को कम करने और उपचार में सहायक हो सकता है (26)

नोट: पेट में अल्सर का इलाज व बचाव के लिए ऊपर बताई गई सामग्रियों पर हुए शोध में से कुछ जानवरों पर किए गए हैं, तो कुछ इंसानों पर हुए हैं। 

पेट में अल्सर के घरेलू उपचार जानने के बाद इसके जोखिम कारक पर एक नजर डाल लेते हैं।

पेट में अल्सर के जोखिम कारक – Risk Factors of Stomach Ulcer in Hindi

जोखिम कारक में निम्नलिखित स्थितियां शामिल हैं (27) (3):

  • तंबाकू का सेवन
  • धूम्रपान
  • अधिक शराब पीना
  • एस्पिरिन, इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सेन या अन्य नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स का नियमित सेवन
  • बहुत बीमार होना
  • विकिरण (रेडिएशन) उपचार
  • तनाव 

अब जान लेते हैं कि पेप्टिक अल्सर में क्या खाना फायदेमंद हो सकता है।

पेप्टिक अल्सर में क्या खाना चाहिए – What to eat during Peptic Ulcer in Hindi

पेप्टिक अल्सर के दौरान कुछ खास खाने की सलाह नहीं दी जाती है, लेकिन संतुलित आहार जरूर लेने को कहा जाता है (28) (29)। हालांकि, किसी भी शोध में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि पेप्टिक अल्सर को पैदा करने या रोकने में आहार और पोषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राचीन काल में एसिड अवरोधक दवाओं के रूप में दूध का उपयोग अल्सर के इलाज के लिए किया जाता था, लेकिन पेप्टिक अल्सर को रोकने या राहत देने के लिए दूध को प्रभावी तरीका नहीं माना गया है (30)

पेट में अल्सर का इलाज के साथ ही आपको अल्सर से बचने के उपाय के बारे में भी जानना चाहिए।

पेट में अल्सर से बचने के उपाय – Prevention Tips for Stomach Ulcer in Hindi

नीचे हम आपको उन चीजों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आपको पेप्टिक अल्सर के दौरान खाने से बचना चाहिए (28) (31)

  • उन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन से बचें, जिनसे दर्द बढ़ता हो।
  • अल्कोहल, कॉफी, कैफीन युक्त सोडा, वसायुक्त खाद्य पदार्थ, चॉकलेट और मसालेदार भोजन के सेवन से भी बचना चाहिए।
  • देर रात स्नैक्स खाने से बचें।
  • धूम्रपान या तंबाकू का सेवन अल्सर के उपचार की गति को धीमा कर सकता है।
  • तनाव के स्तर को कम करने की कोशिश करें।
  • एस्पिरिन, इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन) या नेप्रोक्सेन (एलेव, नेप्रोक्सेन) जैसी दवाओं से बचें।
  • दर्द से राहत के लिए एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) ले सकते हैं।

पेट में अल्सर के उपचार, कारण और अन्य जरूरी बातें जानने के बाद इसकी रोकथाम के लिए घरेलू उपचार का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर अल्सर हो गया हो, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें, क्योंकि इस बीमारी का सटीक इलाज सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह पर आप दवाओं के साथ भी घरेलू उपचार को उपयोग में ला सकते हैं। आपको यह लेख कैसा लगा हमें जरूर बताएं। साथ ही पेट में अल्सर से संबंधित कोई सवाल या सुझाव हो, तो उसे भी आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

पेट के अल्सर का निदान कैसे करें?

सबसे पहले आपका डॉक्टर अल्सर का निदान और इसके कारण जानने के लिए आपकी मेडिकल हिस्ट्री पूछेगा। शारीरिक परीक्षण के दौरान स्टेथोस्कोप (Stethoscope) से आपके पेट की जांच की जाएगी। इसके बाद एंडोस्कोपी व एक्स-रे से आपके पेट के अंदर देखा जाएगा कि अल्सर है या नहीं। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) संक्रमण की जांच के लिए लैब परीक्षण की भी सलाह दी जा सकती है। इसमें रक्त, मल परीक्षण और यूरिया ब्रेथ टेस्ट शामिल हो सकते हैं (31) (32)

क्या पेट के अल्सर से मौत हो सकती है?

पेप्टिक अल्सर के कुछ मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव होने लगता है। यह एक तरह की आपातकालीन स्थिति होती है। रक्तस्राव अचानक और गंभीर होने पर मौत भी हो सकती है (33)। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें मरीजों की मौत का कारण पेप्टिक अल्सर बना है (34) (35)

पेट के अल्सर को ठीक होने में कितना समय लगता है?

अल्सर कब तक ठीक होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि अल्सर किस वजह से हुआ है। अगर अल्सर एच. पाइलोरी संक्रमण की वजह से हुआ है, तो डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्धारित उपचार का पालन करना जरूरी है। हो सकता है कि इसे ठीक होने में करीब दो से तीन हफ्ते तक का समय लग जाए या फिर इससे भी ज्यादा।

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