पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य से लेकर गंभीर रूप में भी सामने आ सकती हैं, जिसमें एक नाम पेचिश का भी शामिल है। देखा गया है कि जानकारी के अभाव में कई लोग इसे सामान्य दस्त ही समझ लेते हैं। यही वजह है कि इस लेख में हमने पेचिश से जुड़ी जरूरी जानकारी आपके साथ साझा की है। स्टाइलक्रेज के इस लेख से जरिए आप पेचिश के कारण के साथ-साथ पेचिश के लक्षण को वैज्ञानिक प्रमाण सहित समझ पाएंगे। साथ ही इस लेख में पेचिश का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस संबंध में भी बताया गया है। लेख में कुछ पेचिश के घरेलू उपचार भी शामिल किए गए हैं, जो इसके प्रभाव व लक्षणों को कम करने में सहायक भूमिका निभा सकते हैं।
लेख के पहले भाग में जानते हैं कि पेचिश क्या है?
पेचिश क्या है? What is Dysentery in Hindi
दस्त के गंभीर रूप को पेचिश कहा जाता है। यह बैक्टीरिया और पैरासाइट इन्फेक्शन के कारण होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति का मल पानी की तरह निकलता है और मल के साथ खून भी आता है। इसके होने के पीछे शिगेला नामक बैक्टीरिया और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट जिम्मेदार होते हैं (1)। अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए, तो इसके कई घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। लेख में आगे इसके लक्षण, प्रकार व कारण के साथ-साथ इसके इलाज के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है।
आइए, अब जानते हैं कि पेचिश के कितने प्रकार होते हैं।
पेचिश के प्रकार – Types of Dysentery in Hindi
आमतौर पर पेचिश के दो प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- बैसीलरी पेचिश – यह पेचिश शिगेला (Shigella) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो दूषित खाद्य पदार्थ, पानी और संक्रमित व्यक्ति के जरिए फैलता है (2)।
- अमीबिक पेचिश – यह पेचिश का दूसरा प्रकार है, जो एटामोइबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) नामक पैरासाइट की वजह से होता है। यह पेचिश ज्यादातर स्वच्छता की कमी वाले क्षेत्रों में होता है। यह पैरासाइट दूषित खाद्य पदार्थ और दूषित पानी के जरिए फैलता है। ऐसे क्षेत्रों में दस्त वाले लगभग 40% लोगों को अमीबिक पेचिश की शिकायत होती है (3)।
ऊपर आपने पेचिश के प्रकार पढ़ें, आगे पेचिश के कारण जानिए।
पेचिश के कारण – Causes of Dysentery in Hindi
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेचिश होने का मुख्य कारण बैक्टीरिया (शिगेला) और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट होता है। ये बैक्टीरिया और पैरासाइट निम्नलिखित कारणों से फैलते हैं, जिन्हें पेचिश होने की वजहों में गिना जा सकता है – (2), (3) :
- दूषित पानी
- दूषित आहार
- संक्रमित मल
- संक्रमित व्यक्ति से संपर्क
चलिए, अब जानते हैं कि पेचिश के लक्षण किस तरह के हो सकते हैं।
पेचिश के लक्षण – Symptoms of Dysentery in Hindi
पेचिश के लक्षण इसके प्रकार के आधार पर एक जैसे और अलग-अलग हो सकते हैं, जिन्हें नीचे बताया गया है – (2),(3):
बैसीलरी पेचिश के लक्षण :
- दस्त
- बुखार
- पेट में दर्द
- मल के साथ रक्त
अमीबिक पेचिश के लक्षण :
- बुखार
- ठंड लगना
- मल के साथ रक्त
- पेट में दर्द या अन्य समस्या (Abdominal Discomfort)
ऊपर पेचिश के लक्षण जानने के बाद, अब जानिए पेचिश के घरेलू उपाय।
पेचिश के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Dysentery in Hindi
पेचिश को घरेलू उपचार की मदद से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए नीचे बताए जा रहे घरेलू नुस्खों को अपनाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि ये घरेलू उपचार इस समस्या का संपूर्ण इलाज नहीं हैं। इस गंभीर अवस्था में डॉक्टर से जांच करवाना भी जरूरी है।
1. बटरमिल्क (छाछ)
सामग्री:
- एक गिलास बटरमिल्क
उपयोग की विधि:
- बटरमिल्क को ताजा पी लीजिए।
- पेचिश की स्थिति में प्रतिदिन दो से तीन गिलास बटरमिल्क पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
बटरमिल्क को पेचिश के लिए घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि छाछ का सेवन पेचिश में आराम दिलाने में मददगार साबित हो सकता है (4)। हालांकि, यह किस प्रकार पेचिश में फायदा पहुंचाता है, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
2. कच्चा पपीता
सामग्री:
- आधा कच्चा पपीता
- तीन कप पानी
उपयोग की विधि:
- पपीते को छिलकर कद्दूकस कर लें।
- फिर पानी में डालकर लगभग 15 मिनट के लिए उबालें।
- इसके बाद इसे छानकर थोड़ी देर के लिए गुनगना होने के लिए रख दें।
- पानी के गुनगुना होने पर इसका सेवन करें।
- इसे प्रतिदिन दो से तीन बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
पेट संबंधी समस्याओं के इलाज में पपीता मददगार साबित हो सकता है। इसके सेवन से अपच, पेचिश और कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है। दरअसल, पपीते में पपैन (Papain) और काइमोपपैन (Chymopapain) जैसे प्रोटियोलिटिक एंजाइम (Proteolytic Enzymes) पाए जाते हैं, जो एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होते हैं। यहां एंटीबैक्टीरियल गुण पेचिश से बचाव व कुछ हद तक रोकथाम में एक अहम भूमिका निभा सकता है (5)। ऐसे में माना जा सकता है कि पपीता, पेचिश के लिए घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. हरीतकी
सामग्री:
- आधा चम्मच हरीतकी पाउडर
- एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
- सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
- फिर इसमें हरीतकी पाउडर को मिलाकर पी लीजिए।
- जब तक पेचिश से राहत नहीं मिलती, तब तक रात में सोने से पहले इसे पिएं।
कैसे है फायदेमंद:
हरीतकी का उपयोग पेचिश से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह दस्त और पेट में गैस की समस्या (Flatulence) में कारगर हो सकता है। पेचिश के लिए इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल गुण मददगार हो सकते हैं (6)। इसलिए, कहा जा सकता है कि हरीतकी को पेचिश और डायरिया के घरेलू इलाज में शामिल किया जा सकता है।
नोट – गर्भवती, पतले व्यक्ति, कमजोरी से ग्रस्त व्यक्ति और डिप्रेशन के शिकार लोग डॉक्टरी परामर्श पर ही इसका इस्तेमाल करें।
4. मेथी बीज
सामग्री:
- एक चम्मच मेथी बीज
- एक गिलास छाछ (बटरमिल्क)
उपयोग की विधि:
- सबसे पहले मेथी के बीज को अच्छे से पीस लें।
- फिर इसे छाछ में अच्छे से मिलाकर पी लें।
- प्रतिदिन दो बार इसका सेवन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद:
मेथी के बीज को पेचिश के लिए घरेलू उपाय में शामिल किया जा सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि दक्षिण भारत में भुने हुए मेथी के बीज को पेचिश के उपचार में उपयोग किया जाता है, जो इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है। मेथी के बीज में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया की वजह से होने वाले पेचिश से बचाने में मदद कर सकते हैं (7)। फिलहाल, इस संबंध में और शोध की आवश्यकता है।
5. नींबू
सामग्री:
- आधा नींबू
- एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
- पानी को हल्का गर्म करें।
- फिर इसमें नींबू को निचोड़कर पी लें।
- दिन में दो से तीन बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
पेचिश के घरेलू इलाज में नींबू का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि नींबू डायरिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से बचाव का काम कर सकता है, इसके पीछे इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण प्रभावी होते हैं (8)। पेचिश की स्थिति में नींबू सीधे तौर से कैसे काम करता है, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
6. सेब का सिरका
सामग्री:
- एक चम्मच सेब का सिरका
- एक गिलास पानी
उपयोग की विधि:
- सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
- फिर इसमें सेब के सिरके को अच्छे से मिलाकर पी लीजिए।
- इसे प्रतिदिन एक से दो बार ले सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
सेब के सिरके का उपयोग पेचिश की स्थिति में सुधार का काम कर सकता है। दरअसल, इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को दूर रखने और इनसे लड़ने में सहायक होते हैं (9)। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेचिश का एक कारण बैक्टीरिया भी है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सेब का सिरका पेचिश में कुछ हद तक लाभदायक हो सकता है।
7. ब्लैक टी
सामग्री:
- एक चौथाई चम्मच काली चाय की पत्ती
- एक कप पानी
- दो से चार बूंद नींबू का रस (वैकल्पिक)
उपयोग की विधि:
- पानी में चाय की पत्ती को डालकर उबाल लें।
- फिर इसमें स्वाद के लिए नींबू का रस डालकर पिएं।
- इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल) द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक, ब्लैक टी का उपयोग पेचिश में मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, ब्लैक टी में एंटी बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो संक्रामक पेचिश के इलाज में मदद कर सकते हैं (10)।
8. ग्रीन बनाना पल्प
सामग्री:
- एक हरा केला
- आधा कप छाछ
उपयोग की विधि:
- केले को छिलकर मैश करें और छाछ के साथ अच्छी तरह से मिलाएं।
- फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
- दिन में एक बार सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद:
केले के फायदे पेचिश की स्थिति में लाभदायक साबित हो सकते हैं। दरअसल, इस विषय से जुड़े एक जर्नल में इस बात का जिक्र मिलता है कि केला दस्त और पेचिश में मददगार साबित हो सकता है। जर्नल में इस बात को भी कहा गया है कि केले में नॉन डाइजेस्टिबल फाइबर मौजूद होते हैं, जो दस्त और कब्ज, दोनों स्थितियों में फायदेमंद साबित हो सकते हैं (11)। फिलहाल, पेचिश पर केले के सकारात्मक प्रभाव जानने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।
9. कैमोमाइल टी
सामग्री:
- एक चम्मच कैमोमाइल के सूखे फूल
- एक कप पानी
उपयोग की विधि:
- पानी में सूखे कैमोमाइल फूल को डालकर उबाल लें।
- लगभग 10 मिनट उबलने के बाद इसे छानकर पी लें।
- स्वाद के लिए इसमें शहद भी डाल सकते हैं।
- दिन में दो से तीन बार इस चाय को पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
कैमोलाइल के फायदे पेचिश की स्थिति में ही देखे जा सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, कैमोमाइल का अर्क पेट से जुड़ी कई समस्याओं, जैसे – दस्त, उल्टी, मतली और अपच में लाभकारी हो सकता है (12)। वहीं, एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक अन्य शोध में कैमोमाइल के एंटीपैरासिटिक (परजीवी संक्रमण से बचाव), एंटीबैक्टीरियल और एंटी डायरियल (दस्त से बचाव करने वाला) गुणों के बारे में पता चलता है (13)। ये सभी गुण संयुक्त रूप से पेचिश से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
10. गाजर
सामग्री:
- दो मध्यम आकार के गाजर
- एक छोटा बीटरूट
उपयोग की विधि:
- दोनों सामग्रियों को छिलकर टुकड़ों में काट लें।
- फिर जूसर की मदद से गाजर और बीटरूट का रस निकाल लें।
- फिर इसे ताजा ही पी लें।
- दिनभर में एक बार इस जूस को पी सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद:
गाजर का इस्तेमाल कुछ हद तक पेचिश की स्थिति में लाभदायक हो सकता है। दरअसल, एक अध्ययन में इस बात का पता चलता है कि बीटरूट के साथ गाजर का सेवन दस्त से आराम दिलाने में मदद कर सकता है। हालांकि, पेचिश की स्थिति में यह कितना फायदेमंद होगा, इस पर सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है (14)। वहीं, एक अन्य शोध में गाजर के एंटीमाइक्रोबियल गुण के बारे में पता चलता है, जो कुछ हद तक पेचिश से बचाव में मददगार साबित हो सकता है (15)। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
11. बेल का फल
सामग्री:
- एक चम्मच बेल फल का गूदा
- पानी
उपयोग की विधि:
- सबसे पहले बेल के गूदे को पानी में अच्छे से मिला लें।
- फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
कैसे है फायदेमंद:
बेल एक तरह का पेड़ होता है। इसके फल को खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है कि बेल का फल डायरिया और पेचिश, दोनों स्थितियों में फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, यह किस प्रकार काम करता है, इस पर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है (16)।
अब आगे जानिए पेचिश का डॉक्टरी इलाज क्या हो सकता है।
पेचिश का इलाज – Dysentery Treatment in Hindi
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) द्वारा पेचिश और दस्त के लक्षण को कम करने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाई के बारे में बताया गया है। इनमें सिप्रोफ्लोक्सासिन (Ciprofloxacin), सीफ्रीअक्सोन (Ceftriaxone) और पिवमेसिलिनम (Pivmecillinam) के नाम शामिल हैं। ये दवाइयां पेचिश के बैक्टीरियोलॉजिकल लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं (17)। पेचिश के इलाज से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
लेख के अंतिम में जानिए कि पेचिश से बचाव किस प्रकार किया जा सकता है।
पेचिश से बचाव – Prevention Tips for Dysentery in Hindi
निम्नलिखित बिंदुओं का पालन कर पेचिश से बचाव किया जा सकता है –
- साफ पानी और भोजन ग्रहण करें।
- खाना खाने से पहले हाथों को अच्छे से धोएं।
- अपने आसपास की जगह को साफ रखें।
- बाहर से आने के बाद अच्छी तरह से हाथ-पैर धोएं।
- गंदगी वाले स्थानों पर जाने से बचें।
- फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।
- बीच-बीच में मेडिकल टेस्ट जरूर कराएं।
- स्वास्थ्य को लेकर हमेशा जागरूक रहें।
उम्मीद करते हैं कि अब आपको समझ आ गया होगा कि पेचिश किस तरह की समस्या है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया होगा कि इस समस्या से बचाव और इससे निजात पाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इससे बचे रहने के लिए आप लेख में बताई गईं सावधानियों का पालन अवश्य करें। पेचिश का इलाज करने के लिए बताए गए पेचिश के घरेलू उपाय वैकल्पिक रूप से मदद कर सकते हैं, लेकिन इसके सटीक उपचार के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाएं। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। इसके अलावा, लेख से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद जरूर लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या पेचिश संक्रामक है?
जी हां, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेचिश बैक्टीरिया और परजीवी के कारण होता है। ये बैक्टीरिया और परजीवी दूषित मल के साथ संक्रमित व्यक्ति के जरिए एक स्वस्थ इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं (1)।
क्या पेचिश के कारण जान जा सकती है?
जी हां, सही उपचार का अभाव और पेचिश की गंभीर स्थिति मौत की वजह बन सकती है (18)। इसलिए, जरूरी है कि वक्त रहते इसका इलाज कराया जाए।
दस्त और पेचिश के बीच अंतर क्या है?
दस्त में मल पानी की तरह निकलता है और वहीं पेचिश में मल के साथ खून भी निकलता है (19)।
संबंधित आलेख
The post पेचिश के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Dysentery Causes, Symptoms and Home Remedies in Hindi appeared first on STYLECRAZE.
from STYLECRAZE https://ift.tt/36DJMmD
via IFTTT
No comments:
Post a Comment