क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi - nethunter

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Thursday, January 16, 2020

क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य भी हो सकती हैं और किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी। ऐसी ही एक बीमारी है क्रोहन। क्रोहन रोग, पेट में दर्द, दस्त या फिर लेख में बताए गए अन्य लक्षणों के साथ शरीर में दाखिल हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि इस रोग के विषय में आवश्यक जानकारी रखी जाए। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानिए कि क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं। इस लेख में क्रोहन रोग से बचने के उपाय के बारे में भी बताया गया है। साथ ही क्रोहन रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस विषय पर भी जानकारी दी गई है।

इस समस्या के बारे में बाकी जानकारी लेने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि क्रोहन रोग होता क्या है।

क्रोहन (क्रोन) रोग क्या है – What is Crohn’s Disease in Hindi

क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग (Inflammatory Bowel Disease) है, जो क्रोनिक रोग की श्रेणी में गिना जाता है। यह सूजन और जलन के साथ व्यक्ति के डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive Tract) को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह रोग बड़ी आंत के शुरुआती भाग और छोटी आंत को प्रभावित करता है। लेकिन, क्रोन रोग व्यक्ति के डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किसी भी भाग (मुंह से लेकर गुदा) को अपनी चपेट में ले सकता है। यह रोग समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, बीच बीच में कुछ समय के लिए इसके लक्षण हल्के हो जाते हैं (1)।

लेख में आगे जानिए क्रोहन रोग के प्रकार के बारे में।

क्रोहन (क्रोन) रोग के प्रकार – Types of Crohn’s Disease in Hindi

क्रोहन रोग के प्रकार को पांच भागों में बांटा जा सकता है –

  1. इलोकैलाइटिस (Ileocolitis) : यह क्रोहन का आम प्रकार है। इसमें पीड़ित व्यक्ति के कोलन (आंत का भाग) और इलीयम (छोटी आंत का अंतिम भाग) प्रभावित होता है।
  2. जेजुनोइलाइटिस (jejunoileitis) : यह आमतौर पर छोटी आंत के बीच वाले भागे जेजुनम (Jejunum) को प्रभावित करता है।
  3. इलाइटिस (Ileitis) : क्रोहन रोग का यह प्रकार इलीयम (ileum, छोटी आंत का अंतिम भाग) को प्रभावित करता है। इससे इलीयम में सूजन पैदा होती है।
  4. गैस्ट्रोडोडोडेनल क्रोहन रोग (Gastroduodenal Crohn’s Disease) : क्रोहन रोग का यह प्रकार पेट और डूआडनल (Duodenal, छोटी आंत का शुरुआती भाग) को प्रभावित करता है।
  5. क्रोहन (ग्रैनुलोमैटस) कोलाइटिस (Crohn’s (Granulomatous) Colitis) : क्रोहन रोग का यह प्रकार कोलन को प्रभावित करता है, जो बड़ी आंत का मुख्य हिस्सा होता है।

लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि क्रोहन रोग के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

क्रोहन रोग के कारण – Causes of Crohn’s Disease in Hindi

क्रोहन रोग के कारण के बारे में साफ तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा। अभी तक इसके सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। डॉक्टर का मानना है कि नीचे बताए गए कारण इनमें शामिल हो सकते हैं (2) :

  • ऑटोइम्यून रिएक्शन : इस समस्या में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। माना जाता है कि पाचन तंत्र के बैक्टीरिया ऐसे ऑटोइम्यून रिएक्शन की वजह हो सकते हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण जैसे आंत में सूजन जैसी समस्या हो सकती है।
  • आनुवंशिक: माना जाता है कि क्रोन रोग आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर किसी के माता-पिता या भाई-बहन को क्रोहन रोग रहा हो तो उस व्यक्ति को भी यह हो सकता है।
  • अन्य कारण : क्रोहन रोग के कारण में धूम्रपान, नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां (जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स या एस्पिरिन ) और उच्च फैट युक्त आहार भी शामिल हो सकते हैं।

क्रोहन रोग के कारण जानने के बाद आइए अब आपको बताते हैं कि क्रोहन रोग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं –

क्रोहन रोग के लक्षण – Symptoms of Crohn’s Disease in Hindi

क्रोहन रोग के लक्षण सभी में एक समान नहीं होते। यह इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि रोग डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किस भाग में है और कितना गंभीर है। कुछ ऐसे लक्षण हैं जो आम हो सकते हैं, जैसे (2) :

  • डायरिया
  • पेट में दर्द और मरोड़
  • वजन कम होना

इसके अलावा, क्रोहन रोग के लक्षण कुछ और भी हो सकते हैं, जैसे :

  • खून की कमी (एनीमिया)
  • आंखों का लाल होना या दर्द
  • थकान
  • बुखार
  • जोड़ों में दर्द या अकड़न
  • मतली या भूख न लगना

लेख के इस भाग में जानिए कि क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं।

क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Crohn’s Disease in Hindi

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग और इसके कई जोखिम कारक हो सकते हैं। क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (3) :

  • धूम्रपान।
  • अपेंडिक्स (बड़ी आंत से जुड़ी एक छोटी नली) की सर्जरी।
  • गर्भनिरोधक गोलियों या एंटीबायोटिक दवा।
  • शुगर और फैट से भरपूर डाइट।
  • किसी प्रकार का संक्रमण।
  • जिन्हे पहले गैस्ट्रोएंटेराइटिस (आंत से जुड़ा संक्रमण) की समस्या रही हो।

क्रोहन रोग के जोखिम कारक, कारण और लक्षण जानने के साथ यह जानना भी जरूरी है कि क्रोहन रोग का इलाज किस तरह किया जा सकता है। नीचे इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।

क्रोहन (क्रोन) रोग का इलाज – Treatment of Crohn’s Disease in Hindi

क्रोहन रोग के उपचार के बारे में बात करें तो इसका इलाज सभी के लिए एक समान काम नहीं करता। इन उपचारों का उपयोग खासकर इसके लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। ये उपचार तीन तरह से किए जा सकते हैं (4):

  • दवाइयों की मदद से
  • आंत को आराम देकर
  • सर्जरी

दवाइयों की मदद से :

निम्नलिखित दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को कम करके, क्रोहन रोग का इलाज किया जा सकता है :

  1. अमीनोसिलिलेट्स (Aminosalicylates) : इन दवाइयों में एक खास तरह का एसिड (5-ASA) पाया जाता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
  • डायरिया
  • सिरदर्द
  • सीने में जलन
  • मलती और उल्टी
  • पेट दर्द
  1. कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करती हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
  • मुंहासे
  • उच्च रक्तचाप
  • हाई ब्लड शुगर
  • हड्डियों का घनत्व कम होना
  • संक्रमण का खतरा
  • मूड स्विंग
  • वजन बढ़ना
  1. इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स (Immunomodulators) : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन को कम करती हैं, जिससे सूजन कम करने में मदद मिल सकती है। इन्हें ठीक से काम करने में कुछ हफ्तों से तीन महीने तक का समय लग सकता है। ये दवाइयां उन्हें दी जाती हैं, जिन पर कोई और दवा काम नहीं करती। इसके दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
  • सफेद रक्त कोशिकाओं का कम होना, जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • थकान
  • उल्टी और मलती
  • पैन्क्रियाटाइटिस (अग्न्याशय में सूजन)

आंत को आराम देकर :

अगर किसी के लक्षण ज्यादा गंभीर हो तो दवाइयों के अलावा, क्रोहन रोग का इलाज आंत को आराम देकर भी किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर कुछ खास पेय पदार्थों का सेवन करने की सलाह दे सकता है। यह कुछ इस प्रकार किया जा सकता है –

  • पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों का सेवन।
  • ट्यूब के माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों को पेट या छोटी आंत तक पहुंचाना।
  • खून के माध्यम से शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों को पहुंचाना।

सर्जरी :

क्रोहन रोग का इलाज सर्जरी के जरिए भी किया जा सकता है। यह सर्जरी इस रोग के लक्षणों में सुधार और जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकती है। क्रोहन रोग के उपचार के दौरान कुछ खास परिस्थितियों में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जो निम्नलिखित हो सकती हैं :

  • फिस्टुला के कारण(शरीर के दो हिस्सों के बीच एक अप्राकृतिक जोड़)
  • जानलेवा रक्तस्त्राव
  • आंत में कसावट (खाना, पेय पदार्थ, हवा या मल का आंत से न गुजर पाना)
  • दवाइयों के जानलेवा दुष्प्रभाव
  • जब दवाइयों से लक्षण बेहतर न हो।

इलाज के साथ आहार का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, क्रोहन रोग के उपचार के बाद जानिए क्रोहन रोग के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है।

क्रोहन रोग आहार – Crohn’s Disease Diet in Hindi

क्रोहन रोग के प्रकार के अनुसार, आहार के क्या खाना है, इस बारे में सटीक जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे। लेकिन इस दौरान आहार से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखने से फायदा मिल सकता है (5)।

  • सोडा वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें।
  • उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पॉपकॉर्न, नट्स आदि खाने से बचें।
  • अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें।
  • एक साथ बहुत सारा न खाएं।
  • समस्या के अनुसार डॉक्टर उच्च कैलोरी, लेक्टोस-फ्री, लो फैट, लो फाइबर या लो सॉल्ट युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।

इन बातों के अलावा यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि किन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है (6) :

श्रेणी क्या न खाएं
दूध और दूध के उत्पाद क्रीम वाला दूध, क्रीम, बेरी/संतरे वाला दही, नट्स या फैट वाली आइसक्रीम
मीट फ्राइड मीट, सॉसेज, बेकन, फ्राइड अंडे और  हॉट डॉग
अधिक प्रोटीन नट्स,सूखे बीन्स और मटर
अनाज होल ग्रेन, ब्राउन राइस और साबुत अनाज से बने सीरियल
सब्जी ब्रोकली, गोभी, मक्का, पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक, सरसों और शलजम) प्याज, और मशरूम
फल छिले हुए सेब, पके हुए केले और मेलन (खरबूजा/तरबूज)
पेय पदार्थ  कैफीन युक्त पेय, शराब और कोला

शक्कर और कॉर्न सिरप से बने कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रूट जूस आदि

फैट और तेल एक दिन में आठ चम्मच से ज्यादा न खाएं।

ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थ उच्च फाइबर/लेक्टोस/फैट/ग्लूटेन से समृद्ध हैं, जो क्रोहन रोग के लक्षण जैसे डायरिया, पेट दर्द, सूजन, गैस आदि को बढ़ा सकते हैं। इस वजह से इन्हें आहार में शामिल न करने की सलाह दी जाती है (7)।

लेख के आखिरी भाग में जानिए क्रोहन रोग से बचने के उपाय से बारे में।

क्रोहन रोग से बचने के उपाय – Prevention Tips for Crohn’s Disease in Hindi

लेख में हम पहले भी बता चुके हैं कि क्रोहन एक प्रकार का आंत से जुड़ा इंफ्लेमेटरी रोग है। ऐसे में इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज से बचने की टिप्स क्रोहन रोग से बचने के उपाय के रूप में काम कर सकती हैं। इन टिप्स के बारे में नीचे बताया गया है (8) :

  • धूम्रपान न करें
  • जरूरी टीकाकरण करवाएं। इससे संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
  • हर रोज व्यायाम और कुछ शारीरिक गतिविधि करें।
  • संतुलित आहार लें।
  • एनीमिया से बचें
  • ऐसी दवाइयों से बचें जो क्रोहन रोग का कारण बन सकती हैं, जैसे नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां।

हम उम्मीद करते हैं कि लेख के माध्यम से आपको क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और इससे जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी मिल गई होंगी। इस बात को भी आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि क्रोन रोग आंत के साथ पूरे शरीर को किस तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए, क्रोहन रोग के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं। इसके अलावा, अगर आपके मन में क्रोहन रोग के उपचार या अन्य संबंधित विषयों से जुड़ा कोई भी सवाल है, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।

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