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Friday, January 24, 2020

क्लोरेला के फायदे और नुकसान – Chlorella Benefits and Side Effects in Hindi

हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में फल, सब्जियों और वनस्पतियों की अहम भूमिका होती है। इनमें से एक क्लोरेला भी है। क्लोरेला एक प्रकार की जलीय वनस्पति है, जिसे आम भाषा में शैवाल या फिर काई भी कहा जाता है। इस गुणकारी औषधि के बारे में शायद कम लोग ही जानते होंगे, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह वनस्पति वास्तव में फायदेमंद है। अब यह किसी बीमारी में कैसे लाभकारी है, इस बारे में हम लेख में विस्तार से बता रहे हैं। बेशक, यह चमत्कारी औषधि है, लेकिन इसे कैसे और कितनी मात्रा में लेना है, इसकी सटीक जानकारी होना जरूरी है। अगर इसे सही प्रकार से न लिया जाए, तो फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि क्लोरेला क्‍या है। साथ ही क्लोरेला का उपयोग कैसे किया जा सकता है। इस आर्टिकल में क्लोरेला के फायदे जानने के बाद अंत में हम इसके कुछ नुकसान भी जानेंगे।

हम लेख की शुरुआत में क्लोरेला क्‍या है, इसकी जानकारी दे रहे हैं।

विषय सूची


क्लोरेला क्‍या है? – What is Chlorella in Hindi

क्लोरेला एक तरह का एकल-कोशिका वाले हरे रंग का शैवाल होता है। शैवाल को आम भाषा में काई कहा जाता है। क्लोरेला को कई पोषण तत्वों से समृद्ध माना गया है। इसमें प्रोटीन, मिनरल और लिपिड की अच्छी मात्रा पाई जाती है। पिछले कुछ सालों में क्लोरेला का उपयोग बढ़ा है, क्योंकि यह उच्च रक्तचाप और फाइब्रोमाइल्जी जैसी समस्याओं में लाभदायक हो सकता है। फाइब्रोमाइल्जी एक तरह का रोग है, जो शरीर में दर्द का कारण बनता है।

क्लोरेला एकल-कोशिका से लेकर बहु-कोशिका वाला भी हो सकता है। इसका संबंध क्लोरेलसी परिवार से होता है। क्लोरेला दो शब्दों यानी क्लोरोस और एला से मिलकर बना है। क्लोरोस का मतलब हरा और लैटिन में एला का मतलब छोटा है। क्लोरेला की हर कोशिका लगभग 2 से 8 माइक्रोन मोटी होती है। यह अनुकूल परिस्थिति में तेजी के साथ बढ़ता है। इसे बढ़ने के लिए कार्बन-डाई-ऑक्साइड, पानी, सूरज की रोशनी और खनिजों की कुछ मात्रा की ही जरूरत होती है (1)।

क्लोरेला का मतलब समझने के बाद अब क्लोरेला के फायदे जान लेते हैं।

क्लोरेला के फायदे – Benefits of Chlorella in Hindi

क्लोरेला में जरूरी पोषक तत्व होने के कारण यह शरीर को पोषण प्रदान करता है। इससे कई शारीरिक रोगों को दूर रखने में मदद मिल सकती है, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

1. वजन घटाने के लिए

अगर कोई बढ़ते वजन से परेशान है और इसे कम करने के बारे में सोच रहा है, तो क्लोरेला का सेवन उनके लिए मददगार हो सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, क्लोरेला में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें एक फाइबर भी है। फाइबर वजन को कम करने में मदद कर सकता है। रिसर्च के अनुसार, अगर डॉक्टर की सलाह पर क्लोरेला के सप्लीमेंट्स लिए जाएं, तो वजन को कम करने में थोड़ी सफलता मिल सकती है (2)।

2. मधुमेह के इलाज में मददगार

क्लोरेला के फायदे में मधुमेह को दूर रखना भी शामिल है। क्लोरेला में मुख्य रूप से क्लोरोफिल पाया जाता है, जो कई समस्याओं से बचाए रखने में मदद कर सकता है। उन समस्याओं में मधुमेह भी शामिल है (1)। क्लोरोफिल ब्लड ग्लूकोज को कम करने का काम करता है, जिससे मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है (3)।

3. कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने के लिए

क्लोरेला से सीरम लिपिड के जोखिम कारकों को कम किया जा सकता है। यह मुख्य रूप से ट्राइग्लिसराइड्स (यह शरीर के फैट के लिए जिम्मेदार होता है) और कुल कोलेस्ट्रॉल पर लाभकारी प्रभाव डालता है। इसके अलावा, हाइपरकोलेस्टेरोलेमिक यानी उच्च कोलेस्ट्रॉल की अवस्था में भी इसका कुछ असर देखा गया है (4)।

4. एंटीऑक्सीडेंट की तरह

क्लोरेला के कई गुणों में से एक अहम गुण एंटीऑक्सीडेंट भी है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम कर सकता है, जो डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) को नुकसान पहुंचने से रोकता है। इससे कोरोनरी हार्ट डिजीज, कैंसर, एजिंग, सूजन संबंधी बीमारियों, पार्किंसंस, पीरियोडॉन्टल और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा, एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्यून सिस्टम व मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को भी बेहतर करता है। साथ ही हड्डियों और त्वचा को स्वस्थ रखता है (5)।

5. रक्तचाप को संतुलित रखने के लिए

उच्च रक्तचाप जैसी समस्या से बचे रहने के लिए क्लोरेला का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, क्लोरेला में गामा-अमीनोब्यूट्रिक एसिड यानी गाबा (एक तरह का अमीनो एसिड) की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिसमें एंटी-हाइपरटेंसिव प्रभाव होता है। यह हाई-नार्मल ब्लड प्रेशर यानी प्री-हाइपरटेंशन को कुछ हद तक कम करने का काम कर सकता है। प्री-हाइपरटेंशन वह अवस्था होती है, जिसमें रक्तचाप सामान्य से अधिक होता है (6)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि उच्च रक्तचाप की गंभीर अवस्था में डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाना चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल करना चाहिए।

6. स्वस्थ हृदय के लिए

क्लोरेला हृदय रोग के जोखिम कारक को कम करके हृदय को सुरक्षित रखने का काम कर सकता है। दरअसल, इसमें अमीनो एसिड, फाइबर, एन-3 अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व धमनी में आई कठोरता को कम कर सकते हैं। इससे हृदय संबंधी रोग को कम किया जा सकता है (7)। इसलिए, ऐसा माना जाता है कि क्लोरेला का उपयोग हृदय के लिए लाभकारी हो सकता है।

7. कैंसर में सुधार करने में मददगार

क्लोरेला या क्लोरेला का अर्क इम्युनिटी प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलन करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीकैंसर प्रभाव भी पाए जाते हैं, जो प्रोस्टेट कैंसर सेल लाइन, लंग्स कैंसर, लीवर कैंसर और कोलन कैंसर से बचाए रखने में मदद कर सकते हैं (8)। ध्यान रहे कि कैंसर घातक बीमारी है। अगर कोई इस बीमारी की चपेट में है, तो उसे डॉक्टर से उचित इलाज करवाना चाहिए। साथ ही डॉक्टर के कहने पर ही घरेलू उपचार का उपयोग करना चाहिए।

8. शरीर की दुर्गंध कम करे

शरीर से पसीना निकलना स्वाभाविक है। वहीं, जब पसीना के साथ बैक्टीरिया मिल जाते हैं, तो इससे शरीर से दुर्गंध आने लगती है। चूंकि, क्लोरेला में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो शरीर से बैक्टीरिया को दूर करने में मदद कर सकते हैं (1) (9)। इसलिए, ऐसा माना जा सकता है कि शरीर की दुर्गंध को कम करने में क्लोरेला का उपयोग किया जा सकता है।

9. लीवर के स्वास्थ्य में सुधार

एक अध्ययन के अनुसार, लीवर की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए क्लोरेला फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, क्लोरेला में मेटफोर्मिन और विटामिन-ई पाया जाता है, जो नॉन अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज (एनएएफएलडी) की समस्या से छुटकारा दिला सकता है। यह पोषक तत्व ट्रांसअमाइनेज सीरम लेवल, ट्राइग्लिसराइड्स और इंसुलिन सेंसिटिविटी पर लाभकारी प्रभाव डाल सकता है। इससे लीवर से जुड़ी समस्याओं को कुछ कम किया जा सकता है। इसके अलावा, क्लोरेला का अर्क एनएएफएलडी के मरीज के लिए हेपेटोप्रोटेक्टिव की तरह काम कर सकता है (10) (11)। हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभाव लीवर को नुकसान से बचने का काम करता है।

10. इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक

क्लोरेला का सेवन इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस बात को सिद्ध करने के लिए एनसीबीआई की वेबसाइट पर एक शोध उपलब्ध है। इस शोध के तहत, कुछ स्वस्थ लोगों को 8 सप्ताह तक क्लोरेला के सप्लीमेंट्स दिए गए। इन सप्लीमेंट्स के सेवन से इम्युनोस्टिमुलिटरी प्रभाव पाया गया, जिससे नेचुरल किलर (एनके) सेल की गतिविधि में वृद्धि हुई (12)। नेचुरल किलर (एनके) सेल इम्यून सिस्टम का ही हिस्सा होते हैं।

11. मुंहासों से राहत दिलाने के लिए

मुंहासे से परेशान लोगों के लिए क्लोरेला का उपयोग लाभदायक हो सकता है। इसके लिए क्लोरेला में पाए जाने वाले एंटीएक्ने गुण सहायता कर सकते हैं। ये गुण त्वचा से मुंहासे को कुछ हद तक कम कर सकते हैं (13)। इसलिए, ऐसा कहना उचित होगा कि क्लोरेला के उपयोग से मुंहासे से छुटकारा मिल सकता है। इसे चेहरे पर फेस मास्क की तरह लगाया जा सकता है।

क्लोरेला के फायदे जानने के बाद इसमें मौजूद पोषक तत्व के बारे में जानेंगे।

क्लोरेला के पौष्टिक तत्व – Chlorella Nutritional Value in Hindi

क्लोरेला में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनमें में 55-60% प्रोटीन, 1-4% क्लोरोफिल, 9-18% डाइटरी फाइबर, विटामिन और मिनरल होते हैं। इसके अलावा, इसमें फास्फोरस, कैल्शियम, अल्युमिनियम व एनर्जी भी पाए जाते हैं। हालांकि, क्लोरेला में मौजूद ये पोषक तत्व कितनी मात्रा में होते हैं, फिलहाल यह बताना संभव नहीं है, क्योंकि इस संबंध में अभी कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है (1), (14)।

क्लोरेला में मौजूद पोषक तत्व की जानकारी के बाद इसके उपयोग के बारे में जानेंगे।

क्लोरेला का उपयोग – How to Use Chlorella in Hindi

स्वस्थ रहने के लिए क्लोरेला को कई प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां हम इसके कुछ आसान तरीके बता रहे हैं :

कैसे खाएं :

  • क्लोरेला पाउडर में नींबू का रस और पानी मिलाकर सुबह जूस की तरह पिया जा सकता है।
  • क्लोरेला और एवोकाडो को आपस में मैश करके ब्रेड पर लगाकर सुबह या शाम नाश्ते की तरह खाया जा सकता है।
  • क्लोरेला की स्मूदी बनाकर पी जा सकती है।
  • इसे आइसक्रीम बनाने में उपयोग किया जा सकता है, जिसे दोपहर को खाने के बाद डेसर्ट की तरह ले सकते हैं।
  • क्लोरेला को चॉकलेट में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे रात को भोजन करने के बाद ले सकते हैं।
  • क्लोरेला को चूर्ण की तरह भी सेवन किया जा सकता है।
  • क्लोरेला से बने कैप्सूल को भी खाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

कितना खाएं : क्लोरेला सप्लीमेंट को प्रतिदिन 3 से 9 ग्राम तक लेना उचित हो सकता है (15)। चूंकि, प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य एक जैसा नहीं होता, इसलिए इसकी उचित मात्रा के संबंध में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

क्लोरेला के उपयोग तो जान लिए, अब आगे इसके नुकसान के बारे में बात करेंगे।

क्लोरेला के नुकसान – Side Effects of Chlorella in Hindi

क्लोरेला कुछ स्थिति में नुकसानदायक भी हो सकता है, जिसे नीचे कुछ बिंदुओं के माध्यम से जान सकते हैं (16)।

  • गर्भावस्था के समय क्लोरेला के सेवन से मतली, दस्त, पेट में ऐंठन और पेट का फूलने जैसी समस्या हो सकती हैं।
  • क्लोरेला से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है, जिसमें अस्थमा और एनाफिलेक्सिस (एक तरह की एलर्जी) शामिल है।
  • क्लोरेला के कारण फोटोसेंसिटिविटी रिएक्शन हो सकता है, जिस कारण त्वचा पर लाल निशान हो सकते हैं।
  • क्लोरेला में विटामिन-के की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसलिए, जो लोग वार्फरिन का सेवन कर रहे हों, उन्हें क्लोरेला से बचना चाहिए। वार्फरिन को एंटीकोगुलेंट दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दवा ब्लड क्लॉट के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।

हमें उम्मीद है कि आपको इस लेख के माध्यम से क्लोरेला के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। साथ ही इसे आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है, यह भी समझ गए होंगे। इसके सेवन की उचित मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि क्लोरेला के नुकसान से बचे रहने में मदद मिल सके। अगर आपके पास क्लोरेला के संबंध में कोई अन्य रोचक जानकारी है, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के मदद से उसे हम तक जरूर पहुंचाएं। हमें उसे अन्य पाठकों के साथ शेयर करेंगे।

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