असंतुलित और बिगड़ा हुआ खान-पान कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है। अगर समय रहते इसे नियंत्रित न किया जाए, तो सामान्य-सी लगने वाली समस्याएं गंभीर हो सकती हैं। एसिडिटी भी इसी का एक रूप है। ऐसा शायद ही कोई हो, जो एसिडिटी से अछूता हो। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम एसिडिटी के बारे में ही बता रहे हैं। साथ ही एसिडिटी के कारण, लक्षण और एसिडिटी के लिए घरेलू उपाय के बारे में जानेंगे। ये उपाय कुछ हद तक एसिडिटी की समस्या को कम कर सकते हैं, लेकिन गंभीर अवस्था में एसिडिटी से बचाव के लिए डॉक्टर से इलाज करना ही सबसे बेहतर तरीका है। इस आर्टिकल में दी गई अधिकतर जानकारी विभिन्न वैज्ञानिक शोधों के आधार पर दी गई है।
आर्टिकल में सबसे पहले हम जानते हैं कि एसिडिटी कहा किसे जाता है।
एसिडिटी क्या है? – What is Acidity in Hindi
एसिडिटी को चिकित्सीय भाषा में गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease – GERD) के नाम से जाना जाता है। 2005 में किए गए एक रिसर्च में पाया गया था कि एसिडिटी की समस्या एशियाई देशों में लगभग 5 प्रतिशत और पश्चिमी देशों में 10 से 20 प्रतिशत तक हो सकती है। यह समस्या तब होती है, जब लोअर एसोफैगल स्फिंक्टर (lower esophageal sphincter) कमजोर हो जाता है और इससे पेट में मौजूद एसिड ऊपर की ओर जाता है। लोअर एसोफैगल स्फिंक्टर एक प्रकार की नली होती है, जो गले को पेट से जोड़ती है। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। कई शोधों में पाया गया कि मसालेदार भोजन करना, अधिक चॉकलेट खाना, धूम्रपान करना, शराब का सेवन करना, सही समय पर नहीं खाना, रात में भोजन करना या फिर शिथिल जीवनशैली से खुद को बचाना चाहिए, क्योंकि इन सबके कारण एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है। इस कारण पेट के ऊपरी भाग में दर्द, सीने में जलन और बेचैनी महसूस हो सकती है (1)।
एसिडिटी के बारे में जानने के बाद अब एसिडिटी के कारण पर चर्चा करते हैं।
एसिडिटी के कारण – Causes of Acidity in Hindi
एसिडिटी से कई समस्याएं हो सकतीं हैं, लेकिन एसिडिटी किस कारण से होती है, यह अहम सवाल है। अगर एसिडिटी के कारण को जान लिया जाए, तो इससे बचना आसान हो जाता है। इसलिए, यहां हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से एसिडिटी होने के कारण के बारे में बता रहे हैं (2) :
- अधिक वजन, मोटापे या गर्भवती होने से पेट पर दबाव बढ़ जाता है और यह एसिड के एसोफैगल में आने का कारण बन सकता है।
- कई प्रकार की दवाइयां भी इस समस्या का कारण बन सकती हैं। जैसे कि अस्थमा का इलाज करने वाली, उच्च रक्तचाप का इलाज करने वाली, एलर्जी के लक्षणों का इलाज करने वाली, सोने में मदद करने वाली व एंटी डिप्रेशन वाली दवाइयां।
- धूम्रपान करना भी एसिडिटी की समस्या का कारण बन सकता है।
- घातक हर्निया के कारण भी एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
एसिडिटी के कारण जानने के बाद आगे हम एसिडिटी के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
एसिडिटी के लक्षण – Symptoms of Acidity in Hindi
गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज यानी एसिडिटी का आम लक्षण सीने व पेट के बीच में जलन और दर्द होना है। एसिडिटी के निम्न लक्षण भी हो सकते हैं (2)।
- सांसों से बदबू आना।
- जी मिचलाना।
- छाती या आपके पेट के ऊपरी हिस्से में जनल के साथ दर्द।
- भोजन को निगलने में समस्या होना।
- श्वास प्रणाली की समस्या होना।
- उल्टी होना।
- दांतों पर एसिड की परत जमना।
एसिडिटी के लक्षण जानने के बाद हम इस समस्या से निपटने के घरेलू उपाय बता रहे हैं।
एसिडिटी के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Acidity in Hindi
एसिडिटी से बचाव के लिए लोग अक्सर प्राथमिक चिकित्सा के तौर पर घरेलू उपचार को ही महत्व देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को ऐसे घरेलू उपायों की जानकारी नहीं होती है। यहां हम कुछ आसान और कारगर घरेलू उपाय बता रहे हैं। साथ ही हम स्पष्ट कर दें कि एसिडिटी के लिए घरेलू उपाय एसिडिटी की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकते हैं, लेकिन समस्या अगर गंभीर हो, तो डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाना चाहिए।
1. बेकिंग सोडा
सामग्री :
- 120 मिली लीटर पानी (लगभग 1 गिलास)
- 1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा
विधि :
- 1 गिलास पानी में 1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं।
- एसिडिटी की समस्या होने पर पानी और सोडे के इस मिश्रण को पी लीजिए।
कैसे है फायदेमंद
बेकिंग सोडा को सोडियम बाइकार्बोनेट भी कहा जाता है। इसमें एंटासिड (antacid) नामक गुण होता है, जो एसिड की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। सोडियम बाइकार्बोनेट को सीने की जलन, एसिड और अपच से राहत देने के लिए उपयोग किया जा सकता है। बेकिंग सोडा का उपयोग अपच, सूजन और मतली सहित एसिड के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। एक बात याद रहे कि इसका सेवन अधिक मात्रा में और लगातार करने पर हानिकारक परिणाम भी हो सकते हैं (3)।
2. मुलैठी की जड़
सामग्री :
- 1 कप गर्म पानी
- 2 – 3 मुलैठी के छोटे टुकड़े
विधि :
- 1 कप पानी को धीमी आंच पर गर्म कीजिए।
- साथ ही इसमें मुलैठी के टुकड़ों काे डालिए।
- फिर इसे 5-10 मिनट के लिए उबाल लें।
- एसिड को कम करने के लिए इस काढ़े का दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
मुलैठी का उपयोग प्राकृतिक चिकित्सा में किया जाता रहा है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसके उपयोग से एसिडिटी की समस्या को भी कुछ हद तक कम किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार, गैस्ट्रिक सूजन के उपचार के लिए मुलैठी की जड़ या अर्क का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जोकि एसिडिटी से बचाने में मदद कर सकता है (4)।
3. एलोवेरा
सामग्री :
- एलोवेरा पत्ते का एक टुकड़ा
- आधा कप पानी
विधि :
- एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसमें से गूदा निकाल लें।
- गूदे और पानी को एकसाथ ग्राइंड करके जूस बना लें।
- एसिड को कम करने के लिए प्रतिदिन 1 कप एलोवेरा जूस का सेवन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
एलोवेरा के उपयोग और उससे होने वाले फायदों के बारे में लगभग हर कोई जानता है। इसका उपयोग एसिडिटी की समस्या को कम करने में भी किया जा सकता है। कई संस्थाओं ने एलोवेरा पर विभिन्न प्रकार के शोध किए हैं। इन सभी शोध को इकट्ठा करके एनसीबीआई ने रिसर्च पेपर तैयार किया और अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है। इस रिसर्च पेपर के अनुसार, एलोवेरा जेल में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव (gastroprotective) गुण होते हैं। एलोवेरा जेल में पाया जाने वाला यह गुण एसिटिक एसिड और गैस्ट्रिक अल्सर की समस्या को कुछ कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही एसिडिटी की समस्या को दूर करने में भी फायदेमंद हो सकता है (5)।
4. अदरक
सामग्री :
- 2 कप पानी
- अदरक के 2 छोटे टुकड़े
विधि :
- पानी को धीमी आंच पर गर्म कीजिए।
- साथ ही इसमें अदरक के टुकड़ों काे डालिए।
- इसे 5-10 मिनट के लिए उबाल लें।
- एसिड को कम करने के लिए इस चाय का दिन में कम से कम एक बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए अदरक के फायदे भी देखे जा सकते हैं। कर्नाटक के फादर मुलर मेडिकल कॉलेज ने इसी संबंध में अदरक पर शोध किया है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित इस शोध के अनुसार अदरक में कई औषधीय गुण होते हैं। उन्हीं में एंटीऑक्सीडेंट और गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण भी होते हैं। ये गुण कब्ज, अपच, पेट फूलना, गैस्ट्रिक अल्सर, अपच, मतली और उल्टी जैसी कई प्रकार की समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद हो सकते हैं। साथ ही ये गुण एसिडिटी की समस्या को कम करने और उसके प्रभाव को दूर करने में भी लाभदायक हो सकते हैं (6)।
5. स्लिपरी एल्म (Slippery Elm)
सामग्री :
- 10 ग्राम स्लिपरी एल्म की छाल
- 2 कप पानी
विधि :
- पानी में स्लिपरी एल्म की छाल मिलाकर धीमी आंच पर गर्म कीजिए।
- इसे करीब 10 मिनट तक उबाल कर काढ़ा बना लें।
- एसिड की समस्या को कम करने के लिए यह काढ़ा दिन में एक बार पिया जा सकता है।
कैसे है फायदेमंद
स्लिपरी एल्म की जानकारी शायद ही ज्यादा लोगों को हो। यह एक पेड़ का नाम है, जिसकी छाल, पत्तियां और जड़ को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। स्लिपरी एल्म की छाल में कई औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को दूर करने में फायेदमंद हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, स्लिपरी एल्म की छाल को कई प्रकार के प्रकृति चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। साथ ही यह हाइपरएसिडिटी यानी एसिडिटी की गंभीर अवस्था के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में लाभदायक भी हो सकती है। यह एसिड के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है (7)।
6. कैरवे सीड्स
सामग्री :
- 1 छोटी चम्मच कैरवे सीड्स
- 1 कप पानी
विधि :
- पानी में कैरवे सीड्स को मिलाकर उबालने के लिए रख दें।
- इसे करीब 5 मिनट तक अच्छी तरह से उबलने दें।
- इस काढ़े का सेवन करने से एसिड की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है।
कैसे है फायदेमंद
कैरवे को मेरिडियन सौंफ व फारसी जीरा के रूप में भी जाना जाता है। यह कई प्रकार की समस्याओं को दूर करने में कारगर है। कैरवे सीड्स को पेट के लिए भी उपयोगी माना गया है। कैरवे सीड्स पर मेडिसिनल प्लांट्स रिसर्च डिपार्टमेंट, ईरान ने शोध किया है, जिसे एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। इन शोध में पाया गया कि अपच के इलाज के लिए परंपरागत रूप से कैरवे बीजों का उपयोग किया जा सकता है। इनमें पाए जाने वाले एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पेट में अतिरिक्त गैस्ट्रिक एसिड के उत्पादन को रोक सकते हैं। इसके अलावा, कैरवे एसिडिटी की समस्या को दूर करने में भी मददगार हो सकता है। इसके अलावा, कैरवे में एंटीस्पास्मोडिक (antispasmodic) गुण भी पाया जाता है, जो पेट की मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में मदद करता है। यह गैस्ट्रिक रस के स्राव को बढ़ाता है और पित्त को कम करने में मददगार हो सकता है, जिससे पाचन प्रक्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है (8)।
7. कैमोमाइल
सामग्री :
- 1 कैमोमाइल टी बैग
- 1 कप गर्म पानी
विधि :
- गर्म पानी में कैमोमाइल टी बैग को डाल दें।
- फिर कुछ देर बार टी बैग को पानी से निकाल दें।
- फिर इस चाय का सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद
कैमोमाइल डेजी परिवार का एक सुगंधित यूरोपीय पौधा है, जो अपने फूलों के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि कैमोमाइल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इस कारण कैमोमाइल चाय का उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। कई शोध संस्थाओं के शोधकर्ताओं ने कैमोमाइल के औषधीय गुणों पर रिसर्च किया है। उनके रिसर्च को एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। इन रिसर्च के अनुसार, कैमोमाइल का उपयोग पाचन विकार, पेट दर्द, पेट की खराबी, गैस की समस्या, अल्सर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी समस्याओं के लिए किया जा सकता है। इसके अर्क का उपयोग अन्य जड़ी-बूटियों के साथ-साथ औषधि बनाने में किया जा सकता है। इस औषधि में एंटासिड गुण पाए जाते हैं, जो गैस्ट्रिक एसिडिटी के साथ ही हाइपरएसिटिडी की समस्या को दूर करने में फायदेमंद हो सकते हैं (9)।
8. लेमन बाम
सामग्री :
- 5-6 लेमन बाम के पत्ते
- 1 गिलास पानी
विधि :
- पानी में लेमन बाम के पत्ते डालिए।
- इसे गर्म होने के लिए गैस पर रख दीजिए।
- फिर इसे 5 मिनट तक उबलने दीजिए।
- उबलने के बाद एसिडिटी की समस्या को कम करने के लिए लेमन बाम टी का सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद
लेमन बाम एक प्रकार की जड़ी-बूटी होती है। इसकी खुशबू और स्वाद लेमन की तरह होता है। लेमन बाम का उपयोग कई प्रकार से स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जा सकता है। एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए भी लेमन बाम फायदेमंद हो सकती है। एनसीबीआई पर प्रकाशित शाहरेकॉर्ड यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस के शोध के अनुसार, लेमन वाम में सेडेटिव (ठंडक देने वाला) व एंटी-गैस गुण पाए जाते हैं। इसमें पाए जाने वाले ये गुण पेट की गैस के साथ ही कई बीमारियों के लक्षणों को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं, जिनमें एक एसिडिटी भी शामिल है (10)।
9. एंजेलिका रूट
कैसे है फायदेमंद
यह अजमोद परिवार का एक पौधा है। इसका उपयोग हर्बल दवा के रूप में किया जाता है। सिर्फ पेड़ ही नहीं, इसकी जड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। एंजेलिका रूट पर कई प्रकार के शोध हो चुके हैं। ऐसे ही एक शोध में पाया गया कि इसमें कार्मिनिटिव (carminative) यानी गैस को कम करने वाला गुण, स्पस्मोलिटिक (spasmolytic) यानी मांसपेशियों की ऐंठन से राहत देने वाला और एंटीफ्लोगिस्टिक (antiphlogistic) यानी जलन कम करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो गैस्ट्रोपेथी और अपच जैसे गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं (11)।
एसिडिटी के लिए घरेलू उपाय के बाद लेख के अगले हिस्से में हम एसिडिटी के इलाज के बारे में बता रहे हैं।
एसिडिटी का इलाज – Acidity Treatment in Hindi
एसिडिटी की समस्या गंभीर होने पर एसिडिटी का इलाज करवाना जरूरी है। एसिडिटी के लक्षणों की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव, दवाओं व सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं। इसके बारे हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (12):
जीवनशैली में बदलाव: दिनचर्या में बदलाव करना एसिडिटी के लक्षणों को कम किया जा सकता है, जो इस प्रकार है :
- मोटापा यानी वजन को कम करना।
- आरामदायक कपड़े पहनना, ताकि पेट पर दवाब न बने। पेट पर दबाव बनने से एसिड ऊपर की ओर आ सकता है।
- भोजन करने के 3 घंटे तक सीधे रहने की कोशिश करें। भोजन करने के तुरंत बाद सोने या आराम करने से एसिड ऊपर की ओर आ सकता है।
- जहां तक हो सके धूम्रपान से बचें।
दवाइयां : ऐसी कई दवाइयां हैं, जो एसिडिटी की समस्या को कम करने में फायदेमंद हो सकती हैं, लेकिन इन दवाइयों का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। ये दवाइयां कुछ इस प्रकार हैं:
- एंटासिड (Antacids): हल्की एसिडिटी के लक्षणों में डॉक्टर एंटासिड लेने की सलाह दे सकते हैं।
- एच2 ब्लॉकर्स: एच2 ब्लॉकर्स एसिड के उत्पादन को कम कर सकते हैं। साथ ही ये अन्नप्रणाली को ठीक करने में भी मदद कर सकते हैं।
नोट: यदि खाने के बाद सीने में जलन होती है, तो डॉक्टर एक एंटासिड और एक एच2 ब्लॉकर्स लेने के लिए कह सकते हैं। एंटासिड पेट के एसिड को बेअसर करता है और एच2 ब्लॉकर्स पेट में एसिड बनाने से रोकता है।
- प्रोटॉन पंप इनहेबिटर्स (पीपीआई): यह पेट में बनने वाले एसिड की मात्रा को कम करता है। एच 2 ब्लॉकर्स की तुलना में पीपीआई जीईआरडी लक्षणों का इलाज करने में बेहतर हो सकते हैं।
नोट: अध्ययन से पता चलता है कि जो लोग पीपीआई की लंबे समय तक या फिर अधिक खुराक लेते हैं, उन्हें कूल्हे, कलाई और रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने की आशंका अधिक रहती है।
- प्रोकेनेटिक्स (Prokinetics): प्रोकेनेटिक्स एसिड की मात्रा को कम करने में मदद कर सकते हैं।
नोट: इन दवाओं से मतली, दस्त, थकान महसूस होना, अवसाद और चिंता जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- एंटीबायोटिक्स: एंटीबायोटिक्स भी एसिड की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं।
नाेट: कई मामलों में यह दस्त का कारण बन सकते हैं।
सर्जरी: दिनचर्या में बदलाव व दवा के सेवन से भी समस्या ठीक न होने पर कुछ गंभीर मामलों में डॉक्टर सर्जरी करने का निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए फंडोप्लीकेशन (Fundoplication) नामक सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी में लेप्रोस्कोप के जरिए पेट के ऊपरी हिस्से में एसोफैगल के आसपास देखा जाता है और लोअर एसोफैगल पर दबाव डाला जाता है। इस सर्जरी के बारे में और विस्तार से डॉक्टर बेहतर तरीके से बता सकते हैं।
आर्टिकल के आखिरी हिस्से में हम एसिडिटी से बचाव के कुछ खास उपाय बता रहे हैं।
एसिडिटी से बचाव – Prevention Tips for Acidity in Hindi
कुछ खास और जरूरी टिप्स काे अपनी जीवनशैली में जोड़कर एसिडिटी की इस समस्या से बचा जा सकता है। एसिडिटी से बचाव इन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए (12)।
- खाने-पीने वाली चीजों का सही तरीके से चयन करना, जैसे – चिकने व मसालेदार भोजन और मादक पेय का परहेज करना।
- ओवरइटिंग से बचना।
- रात को भोजन करने के 2 से 3 घंटे बाद ही सोन जाएं।
- अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने पर वजन कम करने की कोशिश करना चाहिए।
- धूम्रपान की लत को छोड़ देना इस समस्या को दूर रखता है।
- जीवनशैली में बदलाव एसिडिटी के लक्षणों को कम कर सकता है। अपनी जीवनशैली आदर्श और व्यवस्थित बनाना चाहिए और रोजाना व्यायाम, योग व प्राणायाम को उसमें शामिल करना चाहिए। इस प्रकार की दिनचर्या कई प्रकार की बीमारियों को दूर रखने में मदद कर सकती है।
इस आर्टिकल से यह तो स्पष्ट होता है कि एसिडिटी की समस्या बिगड़ती जीवनशैली और खराब खानपान की वजह से हो सकती है। अगर समय रहते इसकी रोकथाम की जाए, तो एसिडिटी से होने वाले गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है। साथ ही ध्यान रहे कि गंभीर समस्या में डॉक्टर से एसिडिटी का इलाज करवाना जरूरी है। एसिडिटी की जानकारी देता यह आर्टिकल आपको कैसा लगा, आप अपनी राय नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं। साथ ही कोई सवाल हो, तो पूछ सकते हैं। हम विशेषज्ञों की सलाह पर जल्द से जल्द जवाब दें।
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