कब्ज एक आम समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इससे पीड़ित लोग कई बार बिना डॉक्टरी परामर्श के विभिन्न प्रकार की दवाइयों का सेवन कर लेते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। ऐसे में कब्ज को दूर करने के लिए योग सुरक्षित तरीका हो सकता है। योग के जरिए कब्ज को जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसके लिए साथ में संतुलित खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। वहीं, अगर कब्ज की समस्या गंभीर हो जाए, तो डॉक्टर से इलाज करवाना जरूरी है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानिए कब्ज के लिए योगासन, जो इस समस्या से आपको आराम दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि कब्ज के लिए योग कैसे फायदेमंद है।
कैसे कब्ज में लाभदायक है योग? – How Does Yoga Help with Constipation in Hindi
कब्ज की समस्या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) के अंतर्गत आती है, जिसमें व्यक्ति का मल कठोर हो जाता है और मलत्याग करने में परेशानी होती है। यहां योग की अहम भूमिका देखी जा सकती है, क्योंकि यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के जोखिम को कम करने का काम कर सकता है (1) (2)।
एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का सबसे आम कारण स्ट्रेस माना गया है। वहीं, योग स्ट्रेस को दूर करके इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के उपचार में मदद कर सकता है। साथ ही योग ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करके और डाइजेस्टिव ट्रैक्ट की मजास कर मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बना सकता है (3)।
आइए, अब लेख के इस भाग में कब्ज के लिए योगासन और उनकी प्रक्रिया के बारे में जानते हैं।
कब्ज के लिए योग – Yoga For Constipation in Hindi
कब्ज के लिए विभिन्न योगासन से मिलने वाले लाभ और उन्हें करने की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी लेख के इस भाग में बताई जा रही है। यहां हम फिर स्पष्ट कर दें कि इन योगासन तभी फायदा हो सकता है, जब नियमित रूप से संतुलित व पौष्टिक आहार का सेवन किया जाए। अकेले योगासन के जरिए कब्ज व अन्य बीमारी को ठीक करना मुश्किल है।
1. पवनमुक्तासन (Pawan Muktasana)
कैसे है लाभदायक :
पवनमुक्तासन योग के जरिए कब्ज की समस्या में आराम पाया जा सकता है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कब्ज की समस्या का एक आम कारण स्ट्रेस भी होता है। वहीं, पवनमुक्तासन को करने से स्ट्रेस की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है, जो कब्ज के उपचार में मदद कर सकता है। साथ ही यह आसन पाचन तंत्र की मसाज करने का काम भी करता है, जिससे मलत्याग में आसानी हो सकती है (3)। नीचे हम बता रहे हैं कि कब्ज के लिए योगासन की इस प्रक्रिया को कैसे किया जाता है।
कैसे करें :
- एक योग मैट को समतल स्थान पर बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। ध्यान रखें कि आपके हाथ शरीर के साथ सटे रहने चाहिए।
- अब गहरी सांस लेते हुए दाएं पैर को घुटने से मोड़ें।
- अब अपने दोनों हाथों से घुटने को पकड़ें और उसे छाती से लगाने की कोशिश करें।
- अब सांस छोड़ते हुए सिर को उठाइए और नाक को घुटने से स्पर्श कराने की कोशिश करें।
- कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहें। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- अब सांस छोड़ते हुए अपने पैर और सिर को प्रारंभिक अवस्था में ले आएं।
- दाएं पैर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब बाएं पैर के साथ यही प्रक्रिया दोहराएं।
- इसके बाद दोनों पैरों को एक साथ लेकर यह प्रक्रिया करें।
- एक बार में इस आसन के चार से पांच चक्र किए जा सकते हैं।
सावधानियां :
- कमर दर्द और पीठ में चोट की स्थिति में इस योग को करने से बचें।
- भोजन के बाद इस योगासन को न करें।
2. सुप्त बद्धकोणासन (Supta Baddha Konasana)
कैसे है लाभदायक :
कब्ज के लिए योग में इस आसन का भी लाभ मिल सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार, सुप्त बद्धकोणासन योग करने से यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) को ठीक करने में मदद मिल सकती है। जो कब्ज की समस्या पर भी लाभदायक असर दिखा सकता है (4)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है।
कैसे करें :
- योग मैट पर शवासन की मुद्रा में लेट जाएं।
- पीठ के हिस्से को हल्का-सा ऊपर की ओर उठाएं। इसके लिए आप पीठ के नीचे कोई पतला तकिया या कोई पतला कंबल भी रख सकते हैं।
- अब अपने दोनों पैरों को घुटने से मोडें और दोनों तलवों को आपस में जोड़ते हुए एड़ियों को कुल्हे के पास ले आएं।
- ध्यान दें कि आपके पैरों के तलवे जमीन से सटे होने चाहिए।
- अब दोनों हाथों को सिर के पीछे की ओर सीधा फैला दें।
- जितना संभव हो एड़ियों को दोनों कूल्हों के बीच वाले भाग में सटाकर रखने की कोशिश करें।
- कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- अब धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं।
- इस आसन को तीन से पांच बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- जांघों और घुटनों में दर्द होने पर इसे न करें।
- रीढ़ से जुड़ी समस्या होने पर इस योग को न करें।
3. हलासन (Halasana)
कैसे है लाभदायक :
कब्ज को दूर करने में हलासन के फायदे भी देखे जा सकते हैं। पेट और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को लेकर किए गए एक वैज्ञानिक रिसर्च में कई योगासन के साथ हलासन को भी शामिल किया गया। इस शोध में देखा गया कि यह आसन पाचन तंत्र, ब्लड सर्कुलेशन और शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने की मात्रा पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है। साथ ही यह मल त्याग की प्रक्रिया को आसान कर सकता है, जिससे कब्ज से राहत मिल सकती है (5)।
कैसे करें :
- सबसे पहले योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- हाथों को शरीर के साथ सटाकर रखें।
- अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर की ओर 90 डिग्री के कोण तक उठाएं।
- फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को सिर की तरफ लाते हुए पैरों की उंगलियों को जमीन से स्पर्श कराने का प्रयास करें।
- इस मुद्रा में व्यक्ति का शरीर खेत में जोते जाने वाले हल के समान दिखता है।
- कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं।
- इस प्रकार एक चक्र पूरा हो जाएगा।
- थोड़ी देर विश्राम करने के बाद फिर इस प्रक्रिया को दोहराएं।
- इसके 4-5 चक्र किए जा सकते हैं।
सावधानियां :
- गर्भावस्था में इस योगासन को न करें।
- हाई ब्लड प्रेशर और चक्कर आने जैसी समस्या से पीड़ित लोग इस योगासन को न करें।
- रीढ़ से जुड़ी हुई बीमारी या सर्वाइकल से ग्रसित लोग भी इस आसन से दूर रहें।
4. अर्धमत्स्येंद्रासन (Ardha Matsyendrasana)
कैसे है लाभदायक :
अर्धमत्स्येंद्रासन के जरिए भी कब्ज के उपचार में मदद मिल सकती है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कब्ज की समस्या स्ट्रेस के कारण भी हो सकती है। वहीं, अर्धमत्स्येंद्रासन योग स्ट्रेस को दूर कर कब्ज से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह योग पाचन तंत्र की मसाज का काम भी करता है, जिससे कब्ज की समस्या में आराम मिल सकता है (3)। कब्ज के लिए योगासन के क्रम इस आसन को करने की प्रक्रिया के बारे में नीचे बताया गया है।
कैसे करें :
- सबसे पहले योग मैट बिछाएं और दंडासन की मुद्रा यानी पैराें को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
- गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं पैर के ऊपर से ले जाएं और बाएं पैर के घुटने के बगल में रखें।
- फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़ें और बाएं एड़ी को दाएं कुल्हे के नीचे रख दें।
- अब बाएं हाथ को दाएं घुटने के ऊपर से ले जाते हुए जांघ के पास रखें और बाएं हाथ से दाएं पैर के टखने को पकड़ने का प्रयास करें।
- फिर अपना सिर दाईं ओर घुमाएं और पीछे देखें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।
- अब इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।
- इस आसन को तीन से पांच बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- पेट के ऑपरेशन होने पर इस योग को न करें।
- गर्भावस्था के दौरान भी इस योग को करने से बचें।
5. मयूरासन (Mayurasana)
कैसे है लाभदायक :
‘मयूर’, शब्द को संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है मोर। इसे अंग्रेजी में पीकॉक (Peacock) के नाम से जाना जाता है। यह योगासन कुछ मोर की शारीरिक संरचना जैसा ही होता है। मयूरासन में पूरे शरीर का वजन हाथों पर केंद्रित होता है। यह आसन पेट के अंगों की क्रिया को प्रभावित करता है, जिससे पेट से जुड़ी कई समस्याओं के उपचार में मदद मिलती है। ऐसा माना जा सकता है कि यह पाचन की समस्या को ठीक कर कब्ज में राहत दिला सकता है (6)।
कैसे करें :
- योग मैट बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाएं।
- अब अपनी हथेलियों को जमीन पर रखें। ध्यान दें कि हाथों की उंगलियों की दिशा आपके पैरों की ओर होगी।
- अब दोनों घुटनों के बीच में जगह बनाएं और एड़ियों को एक साथ जोडें।
- फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और अपने हाथों को कोहनियों से मोड़ते हुए अपने पेट को कोहनियों पर टिकाने की कोशिश करें।
- कोशिश करें कि दोनों कोहनियों का हिस्सा नाभि के पास रहे।
- अब शरीर को आगे की ओर झुकाएं और धीरे धीरे अपने दोनों हाथों पर शरीर का पूरा वजन लाने का प्रयास करें।
- अब अपने पैरों को पीछे की ओर सीधा कर दें।
- इस स्थिति में आपके शरीर का पूरा वजन आपके हाथों पर होगा और आपके पैर भी हवा में रहेंगे। केवल आपकी हथेलियां जमीन से चिपकी रहेंगी।
- अब कुछ सेकंड तक इस मुद्रा में रहें।
- फिर अपने घुटनों को जमीन पर टिकाकर वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
- इस योगासन को करीब 3-4 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर आपने पहले कभी इस योगासन को नहीं किया है, तो योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसका अभ्यास करें।
- इस योग को गर्भावस्था के दौरान बिल्कुल न करें।
- कंधे और कोहनी में दर्द की स्थिति में भी इस आसन को न करें।
6. बालासन (Balasana)
कैसे है लाभदायक :
बालासन को चाइल्ड पोज के नाम से भी जाना जाता है। पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं के लिए कई सारे योग प्रक्रिया को अपनाकर एक वैज्ञानिक अध्ययन किया गया। इसमें बालासन भी शामिल किया गया था। यह योगासन पाचन तंत्र से जुड़े अंगों में मसाज और उन्हें स्ट्रेच करने का काम कर सकता है। साथ ही यह पेट से जुड़ी समस्याओं, जैसे पेट में दर्द, गैस और अपच के साथ-साथ कब्ज को भी दूर करने का काम कर सकता है (7)।
कैसे करें :
- सबसे पहले एक समतल जगह पर योग मैट बिछा लें और वज्रासन में बैठ जाएं।
- अब सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को जमीन से लगाने की कोशिश करें।
- अब अपने दोनों हाथों व कोहनियों को भी जमीन पर आराम से रखें।
- कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- अब धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
- इस योग को करीब 3-5 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- पेट का ऑपरेशन हुआ हो, तो इस योग को न करें।
- गर्भवती महिलाएं भी इस योग को करने से दूर रहें।
- खाना खाने के बाद इस योग को न करें।
7. सुप्त मत्स्येन्द्रासन (Supta Matsyendrasana)
कैसे है लाभदायक :
कब्ज के लिए योग में सुप्त मत्स्येन्द्रासन के जरिए भी आराम मिल सकता है। इस योगासन को जमीन पर लेटकर किया जाता है। इस आसन को करने से पाचन तंत्र के अंगों पर प्रभाव पड़ता है, जिससे वे सक्रिय रूप से कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं। इससे कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इस पर अभी पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, कब्ज के लिए इस आसन को करने से पहले डॉक्टर और योग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
कैसे करें :
- अपने पैरों को सीधा फैलाकर पीठ के बल योग मैट पर लेट जाएं।
- अब दोनों हाथों को कंधे की सीध में शरीर से दूर फैला लें।
- फिर दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए ऊपर उठाएं और बाएं पैर के घुटने के पास रख दें।
- इसके बाद बाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें।
- अब बाएं हाथ से दाएं घुटने पर दवाब देकर उसे जमीन से स्पर्श कराने का प्रयास करें।
- साथ ही सिर को दाईं ओर घुमाएं और दाएं हाथ की उंगलियों की ओर देखें।
- सामान्य रूप से सांस लेते रहें और कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहें।
- अब दूसरी ओर से भी इस प्रक्रिया को करें।
- इस योगासन को करीब तीन से पांच बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- कमर दर्द से परेशान लोग इस योग को करने से बचें।
- गर्भावस्था में भी इस योग को नजरअंदाज करें।
नोट: यहां बताए गए सभी योगासनों को अच्छे योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें। योग को गलत तरीके से करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
इस लेख में आपने जाना कि कैसे कब्ज के लिए योग फायदेमंद हो सकता है। साथ ही कब्ज के लिए लाभदायक योगासन की प्रक्रिया के बारे में भी आपको बताया गया है। हालांकि, कुछ योगासन के दौरान आपको योग प्रशिक्षक की भी जरूरत पड़ सकती है। अगर नियमित तौर से आप योग करते हैं, तो इन योगासन के जरिए कब्ज की समस्या को कई गुना तक कम किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर की सलाह और मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए ही कब्ज से निजात पाया जा सकता है। इसलिए, एक बार डॉक्टर की सलाह भी अवश्य लें। अगर कब्ज के संबंध में किसी अन्य खास योगासन के बारे में वैज्ञानिक प्रमाण सहित जानना चाहते हैं, तो अपना सवाल नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं। हम ठोस तथ्यों सहित जवाब देने का प्रयास करेंगे।
संबंधित आलेख
The post कब्ज के लिए योगा – Yoga For Constipation in Hindi appeared first on STYLECRAZE.
from STYLECRAZE https://ift.tt/2PccFj2
via IFTTT
No comments:
Post a Comment