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Friday, July 5, 2019

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और करने का तरीका – Anulom Vilom in Hindi

उम्मीद है कि आप अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते होंगे, लेकिन क्या आप इसे करने का सही तरीका जानते हैं? योग तभी लाभकारी है, जब आप इसका अभ्यास सही तरीके से करते हैं। अगर आपके मन में अनुलोम-विलोम को लेकर किसी भी तरह का संदेह है, तो हम इस लेख के जरिए उसे दूर करने की कोशिश करेंगे। इस लेख में हम अनुलोम-विलोम को सिलसिलेवार करने का तरीका बताएंगे। साथ ही यह शरीर की विभिन्न समस्याओं के लिए किस प्रकार लाभदायक है, उसकी भी जानकारी देंगे। उससे पहले जान लेते हैं कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम होता क्या है? उसके बाद बात करेंगे कि अनुलोम-विलोम कैसे करें?

अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है – Anulom Vilom in Hindi

स्पष्ट शब्दों में कहें, तो अनुलोम-विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम है। नाड़ी जिसे अंग्रेजी में पल्स कहा जाता है और शोधन यानी सफाई। नाड़ियों को साफ करने के लिए इस प्राणायाम को प्राचीन समय से किया जा रहा है। कहा जाता है कि भारतीय ऋषि स्वयं को निरोग रखने के लिए इस प्रकार की योग क्रियाओं का अभ्यास किया करते थे। सरल शब्दों में अनुलोम-विलोम को अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग एक्सरसाइज कहते हैं, जिसमें नाक के एक छिद्र से सांस लेना, सांस को रोकना, फिर दूसरे छिद्र से सांस छोड़ना होता है (1)। नीचे जानिए अनुलोम विलोम कैसे करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में जानने के बाद अब नीचे जानिए अनुलोम विलोम कैसे करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका – Anulom Vilom Steps in Hindi

Anulom Vilom Steps in Hindi

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सबसे पहले दिन के किसी निश्चित पहर का चुनाव करना होगा। सुबह का वक्त योग अभ्यास करने का आदर्श समय माना जाता है। सुबह की ताजी हवा के बीच अनुलोम-विलोम ज्यादा कारगर तरीके से आपको स्वस्थ रखने का काम करेगा। आप चाहें तो शाम के वक्त भी इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। अब नीचे जानिए अनुलोम-विलोम करने का क्रमबद्ध तरीका :

  1. किसी साफ जगह का चुनाव करें और वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं। ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।
  1. अब आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा, यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें। जो पद्मासन की मुद्रा में नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं। वहीं, जिनके लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, वो कुर्सी पर बैठे सकते हैं।
  1. कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
  1. एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
  1. इसके बाद अपने दाहिने (Right) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई (Left) नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
  1. सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
  1. अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाई नासिका को बंद करें और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  1. कुछ सेकंड का विराम लेकर दाई नासिका से गहरी सांस लें।
  1. अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  1. इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा। आप एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को आप रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।

अनुलोम विलोम कैसे करें जानने के बाद नीचे जानिए अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे – Anulom Vilom Pranayama Benefits in Hindi

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि अनुलोम विलोम प्राणायाम नाड़ी को साफ करने का काम करता है, जिससे शरीर को कई रूपों में फायदा होता है। अब यहां हम विस्तार से बता रहे हैं कि अनुलोम विलोम करने से कौन-कौन सी शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

1. मधुमेह

diabetes

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मधुमेह के मरीजों के लिए अनुलोम विलोम के फायदे देखे गए हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, डायबिटीज के मरीजों को राइट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग एक्सरसाइज (Right nostril breathing) यानी सूर्य भेदन प्राणायाम से फायदा हो सकता है। यह भी प्राणायाम का हिस्सा है। इससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है। इसलिए, यह मधुमेह के विरुद्ध एक कारगर यौगीक अभ्यास है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीज पांच से दस मिनट रोजाना अनुलोम-विलोम का अभ्यास भी कर सकते हैं (2)।

2. हृदय स्वास्थ्य

हृदय रोगों से बचने के लिए भी अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे हैं। प्राणायाम या ब्रीथिंग एक्सरसाइज सांस को नियंत्रित करने के साथ-साथ ह्रदय की गति और उसमें आए परिवर्तन को नियंत्रित करने का काम करता है। ह्रदय के मरीजों के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम इसलिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह ह्रदय की क्षमता को बढ़ाने का काम करता है (2)।

3. गठिया

अनुलोम विलोम प्राणायाम हड्डी से जुड़े गठिया जैसे रोग में भी कारगर है। गठिया होने पर जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अर्थराइटिस होने के पीछे हृदय रोग भी है। यहां अनुलोम-विलोम आपकी मदद कर सकता है। यह एक कारगर प्राणायाम है, जो हृदय की गति को नियंत्रित करने के साथ-साथ हृदय की क्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है (3), (2)। ध्यान रहे कि हृदय रोग के अलावा मधुमेह और मोटापे के कारण भी अर्थराइटिस हो सकता है। इस लिहाज से भी अनुलोम विलोम योगा आपकी मदद कर सकता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम मधुमेह से राहत दे सकता है और शरीर में चर्बी की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है (4), (2)।

4. माइग्रेन

माइग्रेन के लिए भी अनुलोम विलोम के लाभ देखे जा सकते हैं। यह एक प्रकार का सिरदर्द है, जो दिनभर आपको परेशान कर सकता है। माइग्रेन से पीड़ित लोगों के पूरे सिर या आधे सिर में असहनीय दर्द होता है। माइग्रेन अवसाद और चिंता की वजह हो सकता है (5)। यहां आपकी मदद अनुलोम-विलोम प्राणायाम कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, ब्रीथिंग एक्सरसाइज अवसाद और चिंता को दूर करने का काम कर सकती है (6), जिससे माइग्रेन पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

5. एकाग्रता

अनुलोम विलोम योगा का एक काम एकाग्रता बढ़ाना भी है। खासकर, विद्यार्थी अपने कंसंट्रेशन पावर को मजबूत करने के लिए इस खास ब्रीथिंग एक्सरसाइज का अभ्यास कर सकते हैं। अनुलोम-विलोम प्राणायाम नर्वस सिस्टम को नियंत्रित के साथ-साथ मस्तिष्क की न्यूरोनल गतिविधियां में भी सुधार कर सकता है (2), जिससे एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

6. वजन होता है कम

Weight is less

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वजन को नियंत्रित करने के लिए भी अनुलोम विलोम योगा किया जा सकता है। यह ब्रीथिंग एक्सरसाइज शरीर में चर्बी या फैट की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करती है, जिससे आसानी से बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है (2)।

7. कब्ज

कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्याओं के लिए भी अनुलोम विलोम के फायदे देखे जा सकते हैं। जैसा कि आप जानते हैं अनुलोम-विलोम नाड़ी-शोधन प्रक्रिया है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, नाड़ी शोधन कब्ज से निजात देने का काम कर सकता है। इस प्राणायाम का लाभ आप तभी ले सकते हैं, जब आप इसे सही से करें, इसलिए किसी अनुभवी योग प्रशिक्षक का मार्गदर्शन जरूर लें (7)।

8. करता है डिटॉक्स

अनुलोम विलोम के फायदे में शरीर को डिटॉक्स करना भी शामिल है। कई बार खान-पान में बरती गई लापरवाही शरीर में विषाक्ता का कारण बन जाती है। शरीर को विषाक्ता से दूर या डिटॉक्स रखने के लिए आप अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। महर्षि पतंजलि के अनुसार प्राणायाम न सिर्फ शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी अपनी भूमिका निभाता है (8)।

9. रखता है शांत

खुद को शांत रखने के लिए मन-मस्तिष्क का शांत रहना बहुत जरूरी है। प्राणायाम ऐसी योग प्रक्रिया है, जो शारीरिक और मानसिक रूप से आपको शांत करने का काम करेगी। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, ब्रीथिंग एक्सरसाइज का नियमित अभ्यास आपको चिंता और अवसाद से दूर रखने का काम करता है। साथ ही मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है (6), (2)। तनाव मुक्त रहने के लिए भी आप रोजाना अनुलोम-विलोम प्राणायाम कर सकते हैं (9)।

10. रक्त संचार

Blood circulation

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शरीर में रक्त संचार को नियंत्रित करने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे देखे जा सकते हैं। अनुलोम-विलोम का नियमित अभ्यास सिस्टोलिक रक्तचाप (SBP) और डायस्टोलिक रक्तचाप (DBP) को कम कर सकता है (9)।

11. त्वचा की चमक

त्वचा के लिए भी अनुलोम विलोम के फायदेमंद हैं। जैसा कि हमने ऊपर बताया है अनुलोम विलोम योगा एक नाड़ी शोधन क्रिया है, जो शरीर को पूरी तरह से डिटॉक्स करने का काम करती है (10), जिससे त्वचा को भी लाभ मिल सकता है। त्वचा की चमक बढ़ाने के लिए प्राणायाम किस प्रकार काम करता है, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

अनुलोम विलोम के फायदे जानने के बाद चलिए अब जान लेते हैं इससे जुड़े कुछ और टिप्स।

अनुलोम विलोम करने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Anulom Vilom in Hindi

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और अनुलोम-विलोम प्राणायाम कैसे करें जानने के बाद नीच जानिए कि अनुलोम-विलोम करते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

  • शाम की तुलना में सुबह आठ बजे से पहले अनुलोम विलोम के फायदे ज्यादा हैं।
  • अगर आप पहली बार अनुलोम-विलोम कर रहे है, तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें।
  • अनुलोम-विलोम का अधिक लाभ पाने के लिए खान-पान पर ध्यान रखें।
  • यह जरूर सुनश्चित कर लें कि अनुलोम-विलोम करने के स्टेप सही हों।
  • गंभीर ह्रदय रोगी, रक्तचाप के रोगी और प्रेग्नेंट महिलाएं डॉक्टरी परामर्श पर ही इस अभ्यास के लिए आगे बढ़ें।

उम्मीद है कि अनुलोम-विलोम को लेकर आपके अंदर सभी संदेह दूर हो गए होंगे। अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ पाने के लिए आप लेख में बताए गए तरीकों का पालन करें। पहली बार इस अभ्यास को करने वालों को थोड़ी तकलीफ हो सकती है, लेकिन आप प्रयास जारी रखें। लेख में बताई गई समस्याओं की रोकथाम के लिए आप इस नाड़ी-शोधन प्राणायाम को एक इलाज के तौर पर लें। अनुलोम-विलोम से जुड़े सुझावों और सवालों के लिए आप नीचे दिए कमेंट बॉक्ट के जरिए हम से संपर्क कर सकते हैं।

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