जौ भले ही अन्य अनाज की तुलना में लोकप्रिय न हो, लेकिन जब बात स्वास्थ्य की आती है, तो जौ के औषधीय गुणों को नकारा नहीं जा सकता है। यह एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो शरीर से जुड़ी कई परेशानियों का इलाज आसानी से कर सकता है। प्रोटीन, फाइबर, आयरन व कैल्शियम जैसे पोषक तत्व इसे खास बनाने का काम करते हैं (1)। इस लेख में जानिए जौ खाने के फायदे और इसके सेवन के विभिन्न तरीकों के बारे में, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि जौ क्या है?
जौ क्या हैं – What is Barley in Hindi
जौ एक अनाज है, जिसका उत्पादन प्राचीन समय से किया जा रहा है। इसे संस्कृत में यव कहते हैं और यह भारत, अमेरिका, जर्मनी व रूस जैसे देशों में अधिक मात्रा में उगाया जाता है। हालांकि, गेहूं व धान जैसे मुख्य अनाज की तुलना में इसकी लोकप्रियता समय से साथ कम हुई है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए इसका इस्तेमाल आज भी किया जाता है। खासकर, जौ का पानी सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। नीचे जानिए जौ के प्रकारों के बारे में।
जौ के प्रकार – Types of Barley in Hindi
बाजार में जौ के बीज विभिन्न रूपों में मौजूद है, जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार खरीद सकते हैं। यहां हम जौ के कुछ प्रचलित प्रकारों के बारे में बता रहे हैं –
- फ्लेक्स – यह जौ का एक आम प्रकार है, जिसे जौ के बीजों को चपटा करके बनाया जाता है। इसका प्रयोग पहले से ही पके हुए भोजन में किया जाता है। आप इसे गर्म या ठंडा दोनों रूपों में खा सकते हैं। ओट्स फ्लेक्स की जगह इसे खाया जा सकता है।
- जौ का आटा – यह पीसा हुआ जौ है, जिसे आटे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आप इससे रोटियां बना सकते हैं, जैसे गेहूं की रोटी बनाई जाती है। इसके अलावा, जौ के आटे से ब्रेड भी बनाई जाती है।
- ग्रिट्स – यह जौ का मोटा आटा है। इसे बनाने के लिए जौ के बीजों की ऊपरी परत को हटाया जाता है।
- हुल्ड – यह जौ का एक पौष्टिक प्रकार है, जिसे बस ऊपर से हल्का-हल्का साफ किया जाता है। इसे जौ का साबुत रूप भी कह सकते हैं।
- पर्ल बारले – इसे जौ का सबसे खूबसूरत रूप कहते हैं। यह चमकते मोती जैसा दिखता है। इसके बीज एक समान और सफेद रंग के होते हैं। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सूप और सलाद में किया जाता है।
जौ और जौ के प्रकार जानने के बाद अब जानिए सेहत के लिए जौ खाने के फायदे।
जौ के फायदे – Benefits of Barley in Hindi
जौ की गिनती सबसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों में की जाती है। यह मानसिक और शारीरिक विकास के लिए सबसे जरूरी तत्वों फाइबर, विटामिन-सी व ए आदि से भरपूर होता है। नीचे जानिए कि शरीर से जुड़ी विभिन्न परेशानियों में जौ किस प्रकार मदद करता है।
सेहत के लिए जौ के फायदे – Health Benefits of Barley in Hindi
1. वजन घटाने के लिए
वजन घटाने के लिए जौ के फायदे देखे जा सकते हैं। जौ फाइबर से समृद्ध होता है और फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के साथ-साथ वजन को नियंत्रित करने का काम करता है (1), (2)। दरअसल, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ लंबे वक्त तक पेट को भरा रखने का काम करते हैं, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती। इस प्रकार आप बिना ज्यादा कैलोरी बढ़ाए बढ़ते वजन पर काबू पा सकते हैं।
फाइबर के अलावा जौ की घास विटामिन-सी से भरपूर होती है, जो वजन को घटाने में आपकी मदद कर सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन-सी और बॉडी मास के बीच विपरीत संबंध होता है (3), (4)। इस प्रकार विटामिन-सी फैट को जमा होने से रोक सकता है। वजन को नियंत्रित करने के लिए आप रोजाना जौ और जौ की घास का जूस बनाकर पी सकते हैं।
2. कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप
कोलेस्ट्रॉल शरीर की कोशिकाओं में पाया जाने वाला फैट जैसा एक पदार्थ है। कोशिकाओं और हार्मोन के निर्माण में इसकी भूमिका अहम होती है (5)। कोलेस्ट्रॉल की अधिकता शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जिसमें हृदय रोग और स्ट्रोक भी शामिल हैं (6), लेकिन घबराने वाली बता नहीं है, क्योंकि जौ कोलेस्ट्रॉल फ्री है (1)। कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए इसका सेवन किया जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं, एक अच्छा (HDL) और दूसरा खराब (LDL)। एक रिपोर्ट के अनुसार, जौ खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम कर सकता है (7)।
रक्तचाप को नियंत्रित करने में जौ की भूमिका देखी जा सकती है। जौ पोटेशियम से भरपूर होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, जौ में फाइबर भी होता है और फाइबर हाइपरटेंशन को कम करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है (1), (8), (9)।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, शरीर में बढ़ती कोलेस्ट्रॉल की मात्रा रक्तचाप का कारण बन सकती है। जौ कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है, जो रक्त प्रवाह को बढ़ावा देने का काम कर सकता है (1), (10)।
एक अध्ययन के अनुसार, विटामिन-सी रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। विटामिन-सी सप्लीमेंट सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप को कम कर सकते हैं (3), (11)।
3. पाचन और कब्ज
बेहतर पाचन स्वास्थ्य के लिए और कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप जौ का सेवन कर सकते हैं। जौ एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो फाइबर जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, फाइबर युक्त आहार बेहतर पाचन को बढ़ावा देता है और मल को मुलायम बना कब्ज जैसी समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है (1), (12)।
वहीं, दूसरी ओर जौ में नियासिन (विटामिन बी-3) भी पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है (1), (13) ।
4. हृदय स्वास्थ्य
हृदय के लिए जौ खाने के फायदे देखे जा सकते हैं। जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया है कि बढ़ता कोलेस्ट्रॉल ह्रदय रोग, स्ट्रोक और रक्तचाप का कारण बन सकता है। वहीं, जौ कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है, इसलिए यह कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा दिए बिना ह्रदय को स्वस्थ रखने का काम कर सकता है (1), (6)।
जौ में मौजूद फाइबर भी ह्रदय के लिए लाभकारी हो सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, शरीर का बढ़ता वजन हाइपरटेंशन को बढ़ाता है, जिससे स्ट्रोक की आंशका बनी रहती है (14)। यहां फाइबर वजन को नियंत्रित कर ह्रदय के लिए सुरक्षात्मक भूमिका निभा सकता है (1), (2)।
वहीं, दूसरी तरफ पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम कर सकता है, जिससे रक्तचाप से संबंधित ह्रदय जोखिम पर काबू पाया जा सकता है (1), (8)।
5. हड्डियों और दांतों के लिए
हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए जौ अहम भूमिका निभा सकता है। यह उस खास तत्व कैल्शियम से भरपूर होता है, जिसकी जरूरत हड्डियों के निर्माण, विकास और उन्हें स्वस्थ रखने में होती है। रिपोर्ट बताती है कि कैल्शियम की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस नामक हड्डी रोग हो सकता है, जिसमें हड्डियां बुरी तरह कमजोर हो जाती हैं। साथ ही कैल्शियम की कमी हड्डियों के फ्रैक्चर को बढ़ावा दे सकती है (15)।
ऑस्टियोपोरोसिस की एक वजह कम वजन भी है और जौ कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो कम वजन की समस्या को दूर करने का काम कर सकता है (1), (16), (17)। कैल्शियम से न सिर्फ हड्डियां, बल्कि दांत भी मजबूत होते हैं (18)।
6. कैंसर से रोकथाम
आपको जानकर हैरानी होगी कि जौ कैंसर जैसी घातक बीमारी से रोकथाम करने का काम भी कर सकता है। जौ की घास विटामिन-सी से भरपूर होती है और विटामिन-सी एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट है, जो कैंसर के खिलाफ कारगर थेरेपी के रूप में काम कर सकता है (3), (19)।
इसके अलावा, जौ कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है और एक अध्ययन के अनुसार कोलेस्ट्रॉल कई प्रकार के कैंसर के जोखिम का अकेला कारण बन सकता है (1), (20)। कैंसर से लड़ने के लिए शरीर में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहना जरूरी है। यहां जौ आपकी पूरी तरह से मदद कर सकता है। जौ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और मिनरल्स से समृद्ध होता है (1), (21)।
7. रोग प्रतिरोधक क्षमता
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी जौ की भूमिका देखी जा सकती है। जौ की घास विटामिन-सी से भरपूर होती है और विटामिन-सी इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है। इससे शरीर को रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा, विटामिन-सी शरीर में आयरन के अवशोषण (Absorption) को भी बढ़ावा देता है (3), (22)।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में जौ में मौजूद फाइबर भी एक अहम भूमिका निभा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, इम्यूनिटी को बूस्ट करने में फाइबर प्रभावी रूप से काम कर सकता है (1), (23)।
8. मधुमेह
मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम के लिए जौ का पानी पीने के फायदे देखे गए हैं। मधुमेह एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। यहां जौ आपकी मदद कर सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, जौ का नियमित रूप से किया गया सेवन मधुमेह में रोकथाम का काम कर सकता है (1), (24)।
मधुमेह के उपचार के लिए फाइबर के भी लाभ देखे जा सकते हैं। जौ फाइबर से समृद्ध होता है और एक अध्ययन के अनुसार फाइबर टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकता है (1), (25)।
मधुमेह के लिए विटामिन-सी के भी फायदे देखे जा सकते हैं। विटामिन-सी नाइट्रिक ऑक्साइड नामक खास तत्व के जरिए टाइप 2 डायबिटीज पर प्रभावी असर दिखा सकता है (3), (26)।
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (low glycaemic index) वाले कुछ कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थ मधुमेह के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। जौ को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स में शामिल किया गया है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का काम कर सकता है (27)।
9. गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान मां और गर्भ में पल रहे शिशु को सही पोषण देने में जौ का पानी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। जौ फोलिक एसिड से समृद्ध होता है, जो गर्भवती महिला के लिए बहुत ही जरूरी माना जाता है। फोलिक एसिड शिशु के मस्तिष्क, कपाल और स्पाइन से जुड़े जन्म दोष (neural tube defect) के साथ-साथ भ्रूण के विकास में मदद करता है। एक गर्भवती महिला की डाइट में फोलिक एसिड जरूरी पोषक तत्वों में से एक है, खासकर पहली तिमाही में इसकी जरूरी ज्यादा होती है (1), (28)।
गर्भावस्था में विटामिन-सी युक्त आहार भी अहम भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन-सी मां और भ्रूण के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी माना गया है (3), (29)।
गर्भावस्था के दौरान एनीमिया एक गंभीर शारीरिक समस्या है, जो समय से पहले डिलीवरी, शिशु का कम वजन और मां और शिशु की मृत्यु का कारण बन सकती है। यहां जौ अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि इसमें आयरन और फोलेट दोनों मौजूद होते हैं। इन दो जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए जौ का सेवन किया जा सकता है (1), (30)।
गर्भावस्था के दौरान विटामिन बी-6 भी अहम भूमिका निभा सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन बी-6 रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ शिशु के मस्तिष्क विकास में सहायक भूमिका निभा सकता है (1), (31)।
10. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से किडनी, मूत्रवाहिनी (ureters), मूत्राशय (bladder) या मूत्रमार्ग (urethra) से जुड़ा संक्रमण है। यूरिनरी ट्रैक्ट का काम शरीर से गंदगी, अधिक तरल और जीवाणुओं को बाहर निकालना है। कभी-कभी बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण का कारण बन जाते हैं (32)।
यूनीनार ट्रैक्ट इंफेक्शन में जौ अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं, जौ की घास विटामिन-सी से भरपूर होती है, जो योनी संक्रमण को दूर करने का काम कर सकता है (3), (33)।
जौ विटामिन-सी, ए और ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है, जो किडनी संक्रमण (pyelonephritis) पर प्रभावी रूप से काम कर सकता है (34)। एक अध्ययन के अनुसार, विटामिन-सी और विटामिन-ई ब्लैडर कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं (3), (1), (35)।
11. गर्मियों में सहायक
गर्मियों में जौ का सेवन शरीर को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। जौ की घास विटामिन-सी और ई से समृद्ध होती है, जो गर्मियों में अपने एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से आपकी रक्षा कर सकते हैं (3), (36)। विटामिन-सी को खासकर त्वचा के लिए कारगर माना गया है। यह सूर्य की हानिकारक पैराबैंगनी किरणों से त्वचा को बचाने का काम करता है और सनबर्न के प्रभाव को कम करता है। इसके अलावा, विटामिन-सी सूखी त्वचा, दाग-धब्बों व त्वचा की जलन को कम करने के साथ-साथ त्वचा के प्राकृतिक रंग को भी बरकरार रखने का काम करता है (37)।
12. अर्थराइटिस
अर्थराइटिसस के लिए भी जौ का पानी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। गठिया एक आम बीमारी है, जिसमें आयु बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन शुरू हो जाती है। हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए मैग्नीशियम यहां अहम भूमिका निभा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, मैग्नीशियम हड्डियों के ढांचे संबंधी विकास (structural development) को बढ़ावा दे सकता है (1), (38)।
अर्थराइटिसस की समस्या को सही पोषण के जरिए भी ठीक किया जा सकता है। साइंटिफिक रिसर्च के अनुसार, कैल्शियम युक्त आहार लेने से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचा सकता है। इसके अलावा, भोजन में मोनोसैचुरेटेड फैट को शामिल करने से भी गठिया से बचा जा सकता है (39)। जौ इन दोनों पोषक तत्वों से समृद्ध होता है, इसलिए यह गठिया के आपका बचाव कर सकता है (1)।
एक अन्य वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज अर्थराइटिसस का कारण बन सकता है। अध्ययन में डायबिटीज और गठिया के संबंध के बारे में बताया गया है, जो उम्र बढ़ने के साथ देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने ऊपर भी जिक्र किया है कि जौ की घास में विटामिन-सी और फाइबर जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो डायबिटीज से आपको निजात दिलाने का काम कर सकते हैं (3), (25), (26)। इसके अलावा, जौ को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डाइट में शामिल किया गया है, जो मधुमेह के लिए फायदेमंद हो सकता है (27)।
13. गॉल स्टोन
गॉल स्टोन (Gallstone) कोलेस्ट्रॉल, पित्त वर्णक (bile pigment) और कैल्शियम सॉल्ट से बनने वाला छोटा पत्थर होता है, जो गॉल ब्लैडर में विकसित होने लगता है। यह पाचन तंत्र से जुड़ा एक आम विकार है और 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों का ज्यादा प्रभावित करता है (40)। इससे निजात पाने के लिए जौ अहम भूमिका निभा सकता है। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, मोटापा और तेजी से घटता वजन गॉल स्टोन का कारण बन सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट बताती है कि अगर फाइबर युक्त आहार का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो गॉल स्टोन से बचा सकता है। जौ फाइबर से समृद्ध होता, इसलिए यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है (41), (1)।
गॉल स्टोन की समस्या से निजात पाने के लिए जौ में मौजूद विटामिन-सी भी आपकी मदद कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन-सी सप्लीमेंट गॉल स्टोन को रोकने का काम कर सकते हैं (3), (42)।
14. दमा (Asthma)
दमा एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के वायुमार्ग में सूजन और अतिरिक्त बलगम जमा हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। अस्थमा से निजात पाने में जौ आपकी मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, नवजात में अस्थमा की समस्या को जौ की मदद से कम किया जा सकता है (43)।
15. एनीमिया
एनीमिया एक रक्त विकार है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है (44)। हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में आयरन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी एनीमिया का सीधे कारण बनती है। चूंकि, जौ आयरन से समृद्ध होता है, तो इसकी पूर्ति जौ के सेवन के जरिए की जा सकती है (1), (45)।
आयरन के अलावा शरीर में फोलेट की कमी से भी एनीमिया हो सकता है। फोलेट विटामिन-बी समूह का एक जरूरी पोषक तत्व है। इसकी पूर्ति के लिए जौ का सेवन किया जा सकता है (1), (46)।
एनीमिया से बचने के लिए उन पोषक तत्वों को शामिल किया जा सकता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहयोग करें। जौ की घास में मौजूद विटामिन-सी यहां अहम भूमिका निभा सकता है। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, विटामिन-सी लाल रक्त कोशिकाओं को निर्माण को बढ़ावा देने का काम कर सकता है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-सी की कमी (स्कर्वी) एनीमिया का कारण बन सकती है। जौ विटामिन-सी से भरपूर होता है, इसलिए यह स्कर्वी के रोकथाम में मदद कर सकता है (3),(47)।
16. एथेरोस्क्लेरोसिस
एथेरोस्क्लेरोसिस एक गंभीर बीमारी है। इसमें धमनियों के अंदर प्लाक का निर्माण होने लगता है। प्लाक एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जो फैट, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थों से बनता है। समय के साथ-साथ यह प्लाक धमनियों को सख्त और संकीर्ण कर देता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह में रुकावट आने लगती है (48)। ऐसे में एथेरोस्क्लेरोसिस के रोकथाम में जौ आपकी मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, जौ के पत्ते के एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव ह्रदय रोग से बचा सकते हैं, जिसमें एथेरोस्क्लेरोसिस महत्वपूर्ण है (49)।
एक अन्य वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, एंटीऑक्सीडेंट के जरिए प्रारंभिक एथेरोस्क्लेरोसिस से बचा जा सकता है (50)। यहां जौ में मौजूद विटामिन-ए, सी और ई जैसे पोषक तत्व अहम भूमिका निभा सकते हैं, जो कारगर एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं (51)।
17. नपुंसकता
नपुंसकता जैसी गंभीर समस्या के लिए भी जौ का पानी पीने के फायदे देखे गए हैं। नपुंसकता एक गंभीर शारीरिक समस्या है, जिसके होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और ह्रदय रोग (52)। इन शारीरिक परेशानियों से निजात दिलाने में जौ आपकी मदद कर सकता है। जौ में फाइबर मौजूद होता है, जो मोटापे से निजात दिलाने में आपकी मदद कर सकता है (1), (2)। इसके अलावा, जौ में पोटैशियम भी पाया जाता है, जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है (1), (8)। जौ कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है (1), जो कोलेस्ट्रॉल संबंधी ह्रदय जोखिम को बढ़ावा देने का काम नहीं करता।
18. पोषण से भरपूर
जौ एक गुणकारी अनाज है, जो शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका नियमित सेवन मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक हो सकता है। यह जरूरी विटामिन्स (विटामिन ए, बी, सी, ई), मिनरल्स ( कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, सोडियम), फाइबर, प्रोटीन से समृद्ध होता है (1)।
जौ के पोषक तत्व कैंसर (विटामिन-सी 19), मधुमेह (विटामिन-सी 26), उच्च रक्तचाप (फाइबर 8) जैसी गंभीर बीमारी से निजात दिलाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा, जौ में मौजूद विटामिन-सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट त्वचा की खूबसूरती में भी सहयोग कर सकते हैं। नियमित रूप से अगर जौ का पानी सुबह खाली पेट पिया जाए, तो पेट संबंधी परेशानियों से जल्द आराम पाया जा सकता है।
शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जौ एक आवश्यक अनाज है, जिसे दैनिक आहार में जरूर जगह देनी चाहिए। नीचे जानिए त्वचा के लिए जौ किसी प्रकार मदद कर सकता है।
सेहत के लिए जौ के फायदे जानने के बाद नीचे जानिए त्वचा के लिए जौ आपकी किस प्रकार मदद कर सकता है।
त्वचा के लिए जौ के फायदे – Skin Benefits of Barley in Hindi
1. त्वचा की चमक
त्वचा को चमकदार बनाने में भी जौ की घास आपकी मदद कर सकती है। यह विटामिन-सी जैसे खास पोषक तत्व से समृद्ध होती है। विटामिन-सी त्वचा को विभिन्न तरीके से लाभ पहुंचाने का काम करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं, जो सूर्य की हानिकारक पैराबैंगनी किरणों से त्वचा की सुरक्षा करता है। विटामिन-सी लाइटनिंग गुण से भी समृद्ध होता है, जो त्वचा की चमक बढ़ाने का काम करता है (53)। इसके अलावा, यह त्वचा में कोलेजन के स्तर को बरकरार रखने का काम करता है, जो त्वचा के प्राकृतिक रंग के लिए बहुत ही आवश्यक है (37)। नीचे जानिए त्वचा की चमक बढ़ाने के लिए कैसे करें जौ का इस्तेमाल –
जौ की घास का जूस
सामग्री :
- मुट्ठी भर जौ की घास
- डेढ़ कप पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- ब्लेंडर में जौ की घास और पानी डालें।
- अच्छी तरह ब्लेंड करें और छानकर पिएं।
- हफ्ते में तीन से चार बार यह उपाय किया जा सकता है।
आप त्वचा के लिए जौ के आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सामग्री :
- तीन से चार चम्मच जौ का आटा
- एक चम्मच नींबू का रस
- दो से तीन चम्मच पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- जौ के आटे को नींबू के रस और पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर अलग रख दें।
- अब अपने चेहरे को साफ पानी से धो कर अच्छी तरह पोंछ लें।
- जौ का पेस्ट चेहरे पर लगाएं और सूखने दें।
- 15-20 मिनट के बाद हल्के ठंडे पानी से चेहरा धो लें।
- बेहतर परिणाम के लिए हफ्ते में दो से तीन बार यह उपाय किया जा सकता है।
2. खोलता है बंद रोम छिद्रों को
बंद रोम छिद्रों को खोलने में जौ आपकी मदद कर सकता है। बंद रोम छिद्र मुंहासों का कारण बन सकते हैं। यहां जौ में मौजूद विटामिन-सी अहम भूमिका निभा सकता है। विटामिन-सी मुंहासों और दाग-धब्बों को दूर कर त्वचा को स्वस्थ रखने का काम करता है (3), (37)। इसके लिए आप जौ के जूस का सेवन कर सकते हैं।
3. करता है हाइड्रेट
त्वचा का हाइड्रेट रहना भी जरूरी है। हाइड्रेशन के अभाव में त्वचा सूखी, बेजान हो सकती है, साथ ही विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों की चपेट में आ सकती है। हाइड्रेशन प्रक्रिया त्वचा कोशिकाओं को स्वस्थ रखने का काम करती है। यहां आपकी मदद जौ कर सकता है। जौ का पानी त्वचा को हाइड्रेड करने का काम कर सकता है (54)। इसके अलावा, इसमें विटामिन ई भी मौजूद होता है, जो त्वचा को हाइड्रेट करने का काम कर सकता (1), (55) है। नीचे जानिए कैसे करें जौ का इस्तेमाल –
सामग्री :
- आधा कप जौ का फ्लैक्स प्रकार
- एग गिलास पानी
- आधे नींबू का रस
- स्वाद के लिए शहद एक छोटा चम्मच
कैसे करें इस्तेमाल :
- जौ को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।
- सुबह पानी को छान लें और आधे नींबू का रस मिलाएं।
- ठंडा होने के लिए पानी को फ्रिज में रखें और स्वाद के लिए एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
- यह उपाय आप रोजाना कर सकते हैं।
4. स्किन इलास्टिसिटी
सही पोषण की कमी और बढ़ती उम्र की वजह से त्वचा अपनी इलास्टिसिटी यानी लोच खोने लगती है। इससे शरीर का आकर्षण और खूबसूरती जाने लगती है। स्कीन की जाती इलास्टिसिटी झुर्रियों को साफ-साफ दिखाने का काम करती है। इससे निजात पाने के लिए आप जौ का सेवन शुरू कर सकते हैं।
जौ की घास विटामिन-सी से समद्ध होती है, जो त्वचा में कोलेजन को बनाए रखने में मदद करती है। वहीं, कोलेजन त्वचा की इलास्टिसिटी को बरकरार रख झुर्रियों के प्रभाव को कम करने का काम करता है (3), (37), (56)। नीचे जानिए किस प्रकार करें जौ का इस्तेमाल –
कैसे करें इस्तेमाल :
त्वचा की इलास्टिसिटी के लिए रोजाना जौ की घास का जूस पी सकते हैं। जौ की घास का जूस बनाने की विधि ऊपर बताई गई है।
5. हिलिंग गुण
जौ हिलिंग गुण से समृद्ध होता है, जो चोट के घाव को जल्द भरने काम कर सकता है (57)। इसके अलावा, इसकी घास विटामिन-सी से भरपूर होती है। इसका नियमित रू्प से पिया जूस घाव को जल्दी भरने में मदद करेगा (3), (58)। नीचे जानिए घाव के लिए किस प्रकार करें जौ का इस्तेमाल।
सामग्री :
- एक से दो चम्मच जौ पाउडर
- डेढ़ चम्मच पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- पानी के साथ मिलाकर जौ पाउडर का पेस्ट बना लें और प्रभावित जगह पर लगाएं।
- जब तक घाव ठीक नहीं होता दिन में दो बार रोजाना लगाएं।
आतंरिक स्वास्थ्य और त्वचा के लिए जौ के फायदों के बाद नीचे जानिए बालों के लिए जौ के लाभ।
बालों के लिए जौ के फायदे – Hair Benefits of Barley in Hindi
1. बढ़ाता है बालों को
सेहत और त्वचा के साथ-साथ जौ और जौ का पानी बालों के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है। खासकर, बालों के विकास के लिए जौ के फायदे देखे जा सकते हैं। यह उन सभी जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स से समृद्ध होता है, जो बालों को बढ़ाने का काम करते हैं। जैसे –
विटामिन-सी – विटामिन-सी एक घुलनशील विटामिन और एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। विटामिन-सी कोलेजन को बढ़ाने का काम करता है और शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ावा देता है (59)। आयरन की कमी से बाल झड़ने की समस्या के लिए विटामिन-सी एक प्रभावी उपाय हो सकता है। इसके लिए आप जौ की घास का जूस पी सकते हैं (3), (60)।
विटामिन ई – बालों को बढ़ाने के लिए लिए विटामिन-ई प्रभावी विकल्प हो सकता है। यह कारगर एंटीऑक्सीडेंट है, जो मुक्त कणों से होने वाली क्षति को रोकने का काम कर सकता है (61)। नीचे जानिए बालों बढ़ाने के लिए कैसे करें जौ का इस्तेमाल।
कैसे करें इस्तेमाल :
बालों के लिए आप जौ के पानी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप रात भर के लिए एक गिलास पानी में दो से तीन चम्मच जौ के बीज डालकर रख दें और सुबह पानी छानकर पी लें। जौ का पानी आप जौ के बीजों को पानी में उबालकर भी प्राप्त कर सकते हैं। जौ के पानी का नियमित रूप से किया गया सेवन बाल झड़ने की समस्या से निजात दिला सकता है। स्वाद के लिए आप जौ के पानी में कुछ बूंदें नींबू की और एक चम्मच शहद मिला सकते हैं।
2. बालों के झड़ने की समस्या
बालों के झडने की समस्या से रोकथाम के लिए जौ आपकी मदद कर सकता है। इसमें नीचे दिए पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बालों को मजबूत बनाकर बाल झड़ने से आपको छुटकारा दे सकते हैं।
आयरन – महिलाओं में आयरन की कमी बालों के झड़ने का कारण बन सकती है। इसके बचे रहने के लिए आप जौ का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि जौ आयरन से भरपूर होता है(1), (60)।
विटामिन बी – थायमिन (बी1), राइबोफ्लेविन (बी2), नियासिन (बी3) व विटामिन-बी6 शरीर में सेल्स मेटाबॉलिज्म को बनाए रखते हैं, जिससे बालों को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। राइबोफ्लेविन और फोलेट दो ऐसे खास तत्व हैं, जिनकी कमी बालों के झड़ने का कारण बन सकती है। इन सभी पोषक तत्वों की पूर्ति आप जौ के माध्यम से भी कर सकते हैं(1), (62)।
कैसे करें इस्तेमाल :
बालों के झड़ने की समस्या से निजात पाने के लिए आप जौ का पानी पी सकते हैं। ऊपर जौ का पानी बनाने की विधि बताई गई है।
3. बनाए रखता है बालों का रंग
शरीर में आयरन और कॉपर की कमी असमय सफेद बालों का कारण बन सकती है। यहां आपकी मदद जौ की घास कर सकती है। यह आयरन और कॉपर का एक स्रोत है, जो बालों के प्राकृतिक रंग को बरकरार रखने में मदद कर सकती है (63)। आयरन और कॉपर की पूर्ति के लिए जौ की घास का पानी पी सकते हैं। आयरन की पूर्ति के लिए आप जौ के बीजों का पानी भी सकते हैं (1)।
जौ के पानी फायदे जानने के बाद नीच जानिए जौ में मौजूद पोष्टिक तत्वों के बारे में।
जौ के पौष्टिक तत्व – Barley Nutritional Value in Hindi
नीचे दी गई तालिका के माध्यम से जानिए जौ में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद होते हैं (1)।
पोषक तत्व | मात्रा प्रति 100 ग्राम | |
---|---|---|
पानी | 68.80g | |
ऊर्जा | 123kacl | |
प्रोटीन | 2.26g | |
कार्बोहाइड्रेट | 28.22g | |
कुल लिपिड (वसा) | 0.44g | |
फाइबर, कुल डाइटरी | 3.8g | |
शुगर, कुल | 0.28g | |
मिनरल्स | ||
कैल्शियम | 11mg | |
आयरन | 1.33mg | |
मैग्नीशियम | 22mg | |
फास्फोरस | 54mg | |
पोटैशियम | 93mg | |
सोडियम | 3mg | |
जिंक | 0.82mg | |
विटामिन | ||
विटामिन-सी | 0.0mg | |
थियामिन | 0.083mg | |
राइबोफ्लेविन | 0.062mg | |
नियासिन | 0.063mg | |
विटामिन-बी6 | 0.115mg | |
फोलेट, डीएफई | 16µg | |
विटामिन-बी12 | 0.00µg | |
विटामिन ए, RAE | 0µg | |
विटामिन ए IU | 7IU | |
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) | 0.01mg | |
विटामिन-डी (डी 2 + डी 3) | 0.0µg | |
विटामिन-डी | 0IU | |
विटामिन-के (फाइलोक्विनोन) | 0.8µg | |
लिपिड | ||
फैटी एसिड, कुल सैचुरेटेड | 0.093g | |
फैटी एसिड, कुल मोनोअनसैचुरेटेड | 0.057g | |
फैटी एसिड, कुल पॉलीअनसैचुरेटेड | 0.214g | |
कोलेस्ट्रॉल | 0 |
जौ का पानी के फायदे और जौ में मौजूद पौष्टिक तत्व जानने के बाद चलिए अब जान लेते हैं, जौ का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।
जौ का उपयोग – How to Use Barley in Hindi
आप जौ को अपने दैनिक आहार में निम्नलिखित रूप से शामिल कर सकते हैं –
- आप जौ के बीजों का सूप बनाकर जौ का सेवन कर सकते हैं।
- इसे चावल या आलू के विकल्प के रूप में उबाल कर खा सकते हैं।
- आप जौ के आटे की रोटियां बनाकर खा सकते हैं।
- आप जौ के आटे से ब्रेड बनाकर खा सकते हैं।
- सब्जियों की सलाद में आप पके हुए जौ के बीज डालकर खा सकते हैं।
- नाश्ते के लिए आप जौ का स्वादिष्ट दलिया (मीठा या नमकीन) बनाकर खा सकते हैं।
- रिसोट्टो (चावल से बना एक व्यंजन) बनाने के लिए चावल के बजाय जौ का उपयोग करें।
- स्वास्थ्य के लिए आप जौ का पानी पिएं। बेहतर स्वाद के लिए इसमें नींबू या शहद मिलाएं।
- जौ के बीज का पाउडर बनाएं और इसे अपनी स्मूदी या मिल्क शेक में मिलाएं
आप जौ की इन रेसिपी का आनंद भी ले सकते हैं –
1. जौ की खिचड़ी
सामग्री :
- आधा कप जौ के बीज
- दो चम्मच जैतून का तेल
- एक चम्मच साबुत जीरा
- आधा कप कटी हुई प्याज
- आधा कप कटे हुए टमाटर
- आधा कप कटी हुई शिमला मिर्च
- आधा कप पीली शिमला मिर्च
- आधा कप कटी हुई तुरई
- चार-पांच कटी हुई हरी मिर्च
- नमक स्वादानुसार
- आधा कप कटा हुआ हरा धनिया
बनाने की विधि :
- सबसे पहले जौ के बीज को प्रेशर कूकर में दो कप पानी डालकर अच्छी तरह से उबाल लें।
- अब तेल गर्म होने के लिए रखें और साबुत जीरा डालें।
- फिर इसमें कटा हुआ प्याज और मिर्च डालें वर दो-तीन मिनट तक अच्छी तरह चलाएं, जब तक कि प्याज का रंग हल्का भूरा न हो जाए।
- अब कटा हुआ टमाटर डालें और दो-तीन मिनट तक अच्छी तरह चम्मच चलाएं।
- टमाटर पकने के बाद अब सभी कटी हुई सब्जियों को डालें और तीन मिनट तक पकाएं।
- अब उबले हुए जौ के बीज, नमक और हरा धनिया डालकर चार-पांच मिनट तक पकाएं। ध्यान रहे सामग्री जले नहीं।
- अब गरमा गरम जौ की खिचड़ी परोसें।
2. अंकुरित के साथ जौ का सूप
सामग्री :
- एक कप उबले हुए अंकुरित दानें ( चने, मूंग की दाल, मूंगफली)
- एक कप उबले हुए जौ के बीज
- दो चम्मच जैतून का तेल
- एक मध्यम आकार का प्याज बारीक कटा हुआ
- आधा चम्मच लाल मिर्च का पेस्ट
- एक चौथाई कप बारीक कटी हुई गाजर
- एक चौथाई कप बारीक कटी हुई पत्ता गोभी
- नमक स्वादानुसार
- दो कप वेजिटेबल स्टॉक
- दो चम्मच कॉर्न फ्लोर
बनाने की विधि :
- एक नॉन स्टिक पैन लें और तेल गर्म होने के लिए रखें।
- अब तेल में प्याज डालें और चम्मच चलाएं, जब तक कि प्याज हल्का भूरा न हो जाए।
- अब लाल मिर्च का पेस्ट, गाजर और पत्तागोभी डालें और तीन मिनट तक अच्छी तरह पकाएं।
- अब वेजिटेबल स्टॉक डालें और बीच-बीच में चलाते रहें।
- अब कॉर्न फ्लोर डालें और दो-तीन मिनट तक अच्छी तरह पकाएं।
- अब गरमा गरम जौ के सूप का आनंद लें।
3. रंगीन जौ की सलाद
सामग्री :
- चार से पांच छोटे प्याज
- एक कप शिमला मिर्च ( हरी, लाल और पीली)
- आधा कप मकई के दानें
- एक कप पके हुए जौ के बीज
- एक-दो लहसुन की कलियां बारीक कटी हुईं
- एक बड़ा चम्मच जैतून का तेल
- दो बड़े चम्मच बारीक कटी हुई पार्सले और रोजमेरी
- नमक और काली मिर्च स्वाद के लिए
- एक बड़ा चम्मच रेड वाइन सिरका
बनाने की विधि :
- एक नॉन-स्टिक पैन में जैतून का तेल गर्म करें और प्याज, शिमला मिर्च, लहसुन व मकई के दानें डालकर चम्मच चलाएं।
- जब तक सब्जियां थोड़ी पक जाएं, तब तक चम्मच चलाते रहें।
- अब उबले हुए जौ, पार्सले और रोजमेरी डालें।
- ऊपर से रेड वाइन सिरका डाल दें।
- स्वाद के लिए नमक और काली मिर्च का छिड़काव करें।
- सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं और दो-तीन मिनट तक अच्छी तरह पकाएं।
- अब गरमा गरम जौ की सलाद सर्व करें।
जौ का सेवन किस प्रकार किया जाए जानने के बाद आगे जानिए जौ का पानी बनाने का सबसे सरल तरीका।
जौ का पानी कैसे बनाएं – How To Make Barley Water in Hindi
सामग्री :
- एक चौथाई कप जौ (हुल्ड या पर्ल)
- दो कप पानी
- एक बड़ा चम्मच नींबू का रस
- दो बड़े चम्मच चीनी या एक बड़ा चम्मच शहद
- चार से पांच आइस क्यूब
बनाने की विधि :
- सबसे पहले जौ को पानी में अच्छी तरह उबाल लें।
- पानी को छानकर ठंडा होने के लिए रख दें।
- पानी ठंडा होने पर उसमें नींबू का रस, चीन/शहद मिलाएं।
- ऊपर से आइस क्यूब डालें।
- अब रिफ्रेशिंग जौ के पानी का आनंद लें।
जौ के लाभ और इसके सेवन के विभिन्न तरीकों के बाद नीचे जानिए इसका चयन और स्टोर किस प्रकार किया जाए।
जौ का चयन और लंबे समय तक सुरक्षित रखना – Selection and Storage of Barley in Hindi
जौ का उपयोग लंबे समय तक करने के लिए इसका सही चयन और सही स्टोर करना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए कि किस प्रकार करें जौ के बीज का चयन और भंडारण।
चयन : जौ आपको लगभग सभी खाद्य पदार्थों की दुकान या सुपरमार्केट में मिल जाएगा। हमेशा जौ को किसी विश्वसनीय अनाज की दुकान से खरीदें। जौ पैकेट में भी उपलब्ध है। पैकेट वाले जौ खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता व एक्सपायरी डेट की जांच कर ले। साथ में यह भी देखे कि कहीं पैकेट में नमी तो नहीं है। खरीदने से पहले हमेशा पैकेजिंग की तारीख की जांच करें।
स्टोर : जौ के बीज को सीधे धूप से दूर किसी ठंडी और सूखी जगह पर रखें। जौ को स्टोर करने के लिए आप प्लास्टिक या कांच के कंटेनर में रखें। अगर जौ को ठीक प्रकार स्टोर किया गया है, तो इसका उपयोग एक साल तक किया जा सकता है।
गर्मियों के दौरान, आप जौ के बीज को रेफ्रिजरेटर या फ्रीजर में स्टोर कर सकते हैं, लेकिन स्टोर करने से पहले जौ को किसी एयरटाइट कंटेनर में रखें। हो सके तो कंटेनर को ऊपर से किसी प्लास्टिक की शीट से रैप कर लें।
जौ के फायदे और अन्य जानकारी के बाद आगे जानिए जौ के नुकसान।
जौ के नुकसान – Side Effects of Barley in Hindi
इसमें कोई शक नहीं है कि जौ एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। नीचे जानिए जौ के नुकसान।
- जैसा कि हमने बताया कि जौ में पोटैशियम पाया जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन कहते हैं कि पोटैशियम की अत्यधिक मात्रा का सेवन करने से हाइपरकलेमिया हो सकता है। यह एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें पोटैशियम की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। हाइपरकलेमिया से सांस लेने में परेशानी, छाती में दर्द, उल्टी और जी मिचलाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं (1), (64)।
- जौ फाइबर जैसे जरूरी पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। फाइबर पेट के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन पेट में गैस, सूजन और पेट फूलने की वजह बन सकता है (1), (65)।
- जौ में आयरन भी पाया जाता है, लेकिन आयरन का अत्यधिक सेवन शरीर के लिए घातक हो सकता है। शरीर में आयरन का अत्यधिक भंडार लिवर, ह्रदय और अग्नयाशय (pancreas) की क्षति का कारण बन सकता है। आयरन की अधिकता थकान, कमजोरी, जोड़ों में दर्द, वजन कम होना या बाल झड़ने जैसे लक्षण पैदा कर सकती है (1), (66)।
- जौ में कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है और अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन मोटापे का कारण बन सकता है (1), (67)।
- जौ में कैल्शियम की मात्रा भी पाई जाती है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के जोखिम खड़ा कर सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, शरीर में अत्यधिक कैल्शियम पेट फूलने, गैस व कब्ज का कारण बन सकता है (68)।
दोस्तों ये थे जौ खाने के सबसे चमत्कारी फायदे। शरीर के लिए जौ के इतने लाभ जानने के बाद आपको इसे अपने दैनिक आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। हमने लेख में जौ की कुछ चुनिंदा रेसिपी भी बताई हैं, जिसे आप अपने घर में जरूर ट्राई करें और हमें बताएं। हो सकता है कि जौ के नियमित सेवन के दौरान कुछ बताए गए दुष्प्रभाव सामने आएं। ऐसी स्थिति में आप घबराएं नहीं और डॉक्टर से संपर्क करें। आशा है कि जौ पर लिखा हमारा यह लेख आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होगा। अगर आपके मन में जौ से जुड़े कुछ सवाल या सुझाव हैं, तो आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमारे साथ शेयर कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या जौ का पानी खाली पेट पिया जा सकता है ?
हां, जौ का पानी खाली पेट पिया जा सकता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन डायरिया का कारण बन सकता है। हालांकि, अभी इस पर वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है।
क्या जौ का पानी पीने से बार-बार पेशाब आता है?
हां, जौ का पानी बार-बार पीने से पेशाब आता है। यह सामान्य है कि जब भी हम अत्यधिक या बार-बार पानी पीते हैं, तो पेशाब आता है।
क्या जौ ग्लूटेन मुक्त है?
नहीं, जौ में ग्लूटेन मौजूद होता है (70)। यह प्राकृतिक रूप से जौ में पाया जाता है।
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